उत्तराखंड में विभिन्न जिलों की जिला नियोजन एवं अनुश्रवण समितियों तथा विकास कार्यों के पर्यवेक्षण के लिए नए सिरे से प्रभारी मंत्रियों की नियुक्तियां कर दी गई हैं।
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज हरिद्वार जिले के प्रभारी मंत्री बनाए गए हैं। पहले महाराज के पास चमोली और हरिद्वार जिले की जिम्मेदारी थी उनसे चमोली जिले की जिम्मेदारी वापस ले ली गई है।
वित्त मंत्री प्रकाश पंत को चमोली तथा रुद्रप्रयाग आवंटित किया गया है। पहले श्री पंत उधम सिंह नगर और बागेश्वर के प्रभारी मंत्री थे।
कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक को उधमसिंहनगर और नैनीताल जिलों का प्रभार दिया गया है। पहले श्री कौशिक के पास उत्तरकाशी और देहरादून जनपद का प्रभार था।
वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत से नैनीताल का प्रभार वापस लेकर अल्मोड़ा सौंपा गया है तथा परिवहन मंत्री यशपाल आर्य देहरादून के प्रभारी मंत्री बनाए गए हैं। पहले श्री आर्य के पास थोड़ी और रुद्रप्रयाग की जिम्मेदारी थी।
सुबोध उनियाल को पौड़ी सौंप कर पिथोरागढ़ वापस ले लिया गया है। तथा रेखा आर्य को चंपावत वापस लेकर बागेश्वर का जिम्मा दिया गया है।
रेखा आर्य के पास पहले चंपावत जिले की जिम्मेदारी थी किंतु विधायक पूरन सिंह फर्त्याल, कैलाश चंद्र गहतोड़ी से शुरुआत में ही अनबन हो जाने के कारण कभी उनकी बैठक में नहीं गए। रेखा आर्य को चंपावत का प्रभार दिए जाने से यह गतिरोध टूटने की संभावना है।
कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे को पिथौरागढ़ और चंपावत जिले का जनपद प्रभारी बनाया गया है। डॉ धन सिंह रावत के जिम्मे टिहरी और उत्तरकाशी की जिम्मेदारी आई है। की जा रही है कि अब नए सिरे से जनपदों के प्रभाव आवंटित होने के बाद संबंधित जिलों के विधायकों से इन मंत्रियों के तारतम्य में सुधार आएगा
आवंटन के पीछे यह है रणनीति
इसमें एक अहम सियासी तथ्य यह भी है कि सरकार ने यह आवंटन आगामी लोकसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन दोहराने की रणनीति के तहत किया है।
जाहिर है कि रेखा आर्य को दिया गया जिला बागेश्वर उन्हीं के लोकसभा क्षेत्र से ताल्लुक रखता है तो सुबोध उनियाल नरेंद्र नगर सीट पौड़ी लोकसभा क्षेत्र में आती है और उन्हें भी पौड़ी का ही दायित्व दिया गया है।
सतपाल महाराज का हरिद्वार में आश्रम है तथा वहां पर उनके अनुयायियों की भी काफी संख्या है। हरिद्वार लोकसभा चुनाव में वह अहम भूमिका निभा सकते हैं। उनकी वर्तमान सांसद रमेश पोखरियाल निशंक से भी अच्छी ट्यूनिंग है।
पर्वतजन के सूत्रों के अनुसार अरविंद पांडे खुद के लिए उधमसिंहनगर और नैनीताल जिलों का प्रभार चाहते थे इसके पीछे यह कारण था कि वह आगामी लोकसभा चुनाव में बेहतर रिजल्ट दे सकते थे और अपने सहयोगी बलराज पासी के लिए बेहतर जमीन तैयार कर सकते थे लेकिन मदन कौशिक उनके बदले चंपावत पिथौरागढ़ का प्रभार लेने को तैयार नहीं थे।