शहीद का सम्मान करना भूली सरकार
दिल्ली दरबार के छोटे-बड़े नेताओं से लेकर पिकनिक मनाने उत्तराखंड आने वाले केंद्रीय मंत्रियों की अगुवाई में देहरादून एयरपोर्ट पर खड़ी डबल इंजन की सरकार किसी शहीद के प्रति कितनी गंभीर है, इसका ताजा उदाहरण १५ जून २०१८ को तब देखने को मिला, जब बांदीपुरा में आतंकियों से लोहा लेने वाले रुद्रप्रयाग उत्तराखंड के शहीद सपूत मानवेंद्र सिंह रावत को देहरादून हवाई अड्डे पर लाया गया। शहीद के सम्मान में क्षेत्रीय विधायक और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तो बहुत दूर, उनका कोई प्रतिनिधि तक नहीं पहुंचा। यहां तक कि देहरादून एयरपोर्ट पर नेताओं के साथ सैल्फी खिंचवाने वाले भारतीय जनता पार्टी के नेता भी नहीं पहुंचे। जो सरकार एक साल में अपने परिजनों, रिश्तेदारों और भाई-भतीजों के साथ-साथ खुद भी सरकारी हैलीकॉप्टर और हवाई जहाज में घूम-घूमकर खर्च कर चुकी है, उस सरकार ने शहीद के पार्थिव शरीर को भिजवाने के लिए न तो हैलीकॉप्टर दिया और न ही कोई दूसरा इंतजाम किया।
सरकार को मालूम था कि असमय खोदी गई चारधाम यात्रा की सड़क के कारण न सिर्फ चारधाम यात्रा प्रभावित हो रही है, बल्कि उस भीड़-भड़ाके में शहीद का शव रुद्रप्रयाग पहुंचाना टेढी खीर होगा। इसके बावजूद राज्य सरकार ने कोई इंतजाम नहीं किया। शोक जताकर खानापूर्ति करने वाली सरकार के इस रवैये के कारण शहीद मानवेंद्र सिंह रावत का पार्थिव शरीर घंटों तक जाम में फंसा रहा। केदारनाथ हाइवे पर रामपुर में पहाड़ी से लगातार मलबा गिरने के कारण हाइवे बंद है। दोनों ओर से सैकड़ों की संख्या में वाहनों की कतार लगी हुई है। पहाड़ से लगातार मलबा गिर रहा है।
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देश के लिए मर-मिटने वाले सैनिकों के प्रति सरकार का यह रवैया बहुत खेदजनक है। सैनिक के पार्थिव शरीर के जाम में फंसे रहने से न सिर्फ उत्तराखंड सरकार की छिछालेदर हुई है, बल्कि इससे शहीद के परिजनों को भी ठेस पहुंची है जो पिछले दो दिनों से पार्थिव शरीर का इंतजार कर रहे हैं।