किशोर उपाध्याय ने की पहाड़ों की कंदराओं में रहने वाले गिरिजनों को उनके पुश्तैनी अधिकार दिलाने की मांग। पीएम की चट्टान से शरीर को घिसने वाली तस्वीर वायरल करने पर ली चुटकी
गिरीश गैरोला/उत्तरकाशी
लंबे समय से प्रदेश में कांग्रेस की आंतरिक गुटबाजी का दंश झेल रहे किशोर उपाध्याय अब टिहरी संसदीय क्षेत्र से चुनावी वैतरिणी पार कर केंद्रीय राजनीति में जाना चाहते हैं। एक निजी कार्यक्रम में उत्तरकाशी पहुंचे किशोर ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है।
किशोर उपाध्याय जननायक कॉमरेड स्व. कमलराम नौटियाल के घर पर पत्रकारों से रूबरू हो रहे थे। उत्तरकाशी के तिलाड़ी कांड पर आयोजित कार्यक्रम मेें शामिल होने के बाद किशोर ने पहाड़ की कंदराओं में निवास करने वाले निवासियों को गिरिजन नाम से पुस्तैनी अधिकार दिए जाने की वकालत की। जिसके लिए वे पीएम मोदी से मिलकर एक सर्वसम्मति वाला प्रस्ताव देना चाहते थे, किंतु उन्हें मिलने नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि हरिजन और गिरिजन दोनों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में बेहद समानता है। जिस कारण इन्हें वन अधिकार अधिनियम में वनवासी घोषित कर उनके हितों की रक्षा के लिए पहल करने की जरूरत है।
वर्षों पुरानी पहाड़ों की व्यवस्था का जिक्र करते हुए किशोर उपाध्याय ने कहा कि यहां खाना पकाने के लिए नि:शुल्क ईंधन मिलता था। घर बनाने के लिए लकड़ी पत्थर, बजरी भी नि:शुल्क मिलती थी, जो अब छीन लिए गए हंै। ऐसे में पलायन नहीं होगा तो क्या होगा।
उपाध्याय ने कहा कि इन सब पुस्तैनी अधिकारों के लिए वे संघर्ष करेंगे। साथ ही रोजगार के लिए नौकरियों में आरक्षण की भी मांग करेंगे। उन्होंने कहा कि मोदी न सही, अमित शाह से ही मिलकर वे इस संबंध में प्रस्ताव देंगे। इसके लिए वे विधानसभा अध्यक्ष, राज्यपाल और खुद उनकी पार्टी के विधायक और प्रदेश अध्यक्ष से मिलकर सर्वसम्मति बनाने का प्रयास करेंगे।
टिहरी संसदीय क्षेत्र से उनके चुनाव लडऩे की अटकलों के सवाल पर उनका कहना था कि पार्टी उन्हें जो भी जिम्मेदारी देगी, उसका वे पालन करेंगे। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि वर्ष 2004 और 2012 में उनके साथ पार्टी ने उचित निर्णय नहीं लिया, फिर भी वे पार्टी के लिए हमेशा वफादार हैं।