कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने मोटर व्हीकल एक्ट(एम.वी.)एक्ट को कड़ाई से अनुपालन कराते हुए व्यावसायिक वाहनों के बाहर निकलने वाली सरिया इत्यादि पर रोक लगा दी है । न्यायालय ने नाबालिग स्कूली छात्रों के मोटर साइकिल चलाने के साथ लाइसेंस नहीं देने के निर्देश दिए हैं ।
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय में मोटर व्हीकल एक्ट के सेक्शन 128 और 129 को सख्ती से लागू करने को लेकर जनहित याचिका दायर हुई थी। न्यायालय ने मामले में उत्तराखंड पुलिस को सख्ती से सेक्शन 129 लागू करने के निर्देश दिए है। साथ ही न्यायालय ने मोटरसाईकल और स्कूटर चालकों को आई.एस.आई.(ISI) मार्का वाला हैलमेट ही पहनने के निर्देश जारी करते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पुलिस क्षेत्राधिकारी व कोतवाल को इस आदेश को व्यक्तिगत रूप से अमल में लाने को कहा है।
वरिष्ठ न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने शुक्रवार को जनहित याचिका में अपना निर्णय सुनाते हुए राज्य सरकार से लोहे की सरिया, लोहे की चादर, स्टील पाइप और प्लास्टिक पाइप को वाहन की लंबाई से अधिक ना ले जाने देने के निर्देश दिए । न्यायालय ने कहा कि जब तक सरकार इसके लिए कोई नियम नही बना लेती, तब तक पूरे राज्य में गाड़ी से बाहर झूलते लोहे की सरिया/रॉड, लोहे की चादर, स्टील पाइप और प्लास्टिक पाइप को वाहनों में लादने में रोक लगा दी जाए । न्यायालय ने ये भी कहा कि इस आदेश का पालन कराना फैक्ट्री मालिक व दुकानदारों की जिम्मेदारी है।
वहीं न्यायालय की खंडपीठ ने गाड़ी चलाते समय फ़ोन के इस्तेमाल करते पकड़े जाने पर लाइसेंस निरस्त करने के राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं।खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि जब तक सरकार कोई अधिसूचना जारी नही करती तबतक आदेश का उल्लंघन करते पकड़े गए वाहन चालक से ₹5000/= रुपये का जुर्माना वसूला जाए । अन्त में न्यायालय ने सरकार से कहा कि वो इस बात को सुनिश्चित करे कि किसी भी नाबालिग को ना लाइसेंस जारी किया जाए और ना ही उसे वाहन चलाने दिया जाए।
लाइसेंस के ही मामले में न्यायालय ने सभी शैक्षणिक संगठनों के प्रधानाचार्यों से इस आदेश का पालन करते हुए छात्रों को ऐसा नहीं करने के प्रति जागरुक करने को भी कहा है।