अपने खिलाफ मुकदमा लिखे जाने से बौखलाए सुभाष शर्मा ने विकास नगर विधायक मुन्ना सिंह चौहान के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया है।
मुकदमा लिखे जाने के कुछ ही घंटों बाद सुभाष शर्मा ने मुन्ना सिंह चौहान से जुड़े कुछ ठेकेदारों के घोटालों का एक सनसनीखेज खुलासा Facebook पर अपलोड कर दिया है।
इससे मुन्ना सिंह चौहान बैकफुट पर आ सकते हैं। विकास नगर के थाना अध्यक्ष संदीप नेगी के अनुसार उन्होंने मुन्ना सिंह चौहान के खिलाफ 66 ए आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है। जबकि इस धारा को सुप्रीम कोर्ट पहले ही अवैधानिक करार देकर समाप्त कर चुका है।
बड़ा सवाल यह है कि क्या खुद को काफी कानूनी जानकार मानने वाले विधायक मुन्ना सिंह चौहान अथवा खुद थानाध्यक्ष को यह पता नहीं है कि 66 आईटी एक्ट की धारा सुप्रीम कोर्ट द्वारा समाप्त की जा चुकी है !
सुभाष शर्मा ने इस धारा में मुकदमा लिखे जाने को लेकर पर्वतजन से प्रतिक्रिया में कहा कि वह ऐसा कदम उठाएंगे कि आइंदा कोई थानेदार इस धारा में किसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज ही नहीं कर पाएगा !
मुन्ना सिंह चौहान ने की टिप्पणी
सुभाष शर्मा की पोस्ट के प्रत्युत्तर में मुन्ना सिंह चौहान ने भी Facebook पर टिप्पणी लिखी थी कि सुभाष शर्मा ने उनकी और मुख्यमंत्री जी की छवि खराब की है और यदि वह माफी नहीं मांगते हैं तो वह कार्यवाही करेंगे। मुन्ना सिंह चौहान की पोस्ट पढ़ते ही उनके समर्थकों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और सब ने एक सुर में सुभाष शर्मा को गरियाना शुरू कर दिया।
सुभाष शर्मा ने हटाई पोस्ट
इसके बाद सुभाष शर्मा ने फेसबुक से अपनी टिप्पणी यह लिखते हुए हटा दी की उनकी जानकारी में यह घटना सत्य है लेकिन यदि मुन्ना सिंह चौहान जी को एतराज है तो वह इस पोस्ट को डिलीट कर रहे हैं। किंतु सार्वजनिक माफी न मांगे जाने के कारण मुन्ना सिंह चौहान ने मुकदमा दर्ज करा दिया। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि थानेदार ने एक खत्म हो चुकी धारा के अंतर्गत मुकदमा दर्ज क्यों कराया !
यह था शुरुआती मामला
गौरतलब है कि उत्तराखंड सरकार में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान के बीच गर्मागर्मी होने से संबंधित खबर अपनी टाइमलाइन पर पोस्ट करने को लेकर मुन्ना सिंह चौहान ने सुभाष शर्मा पर मुकदमा दर्ज करा दिया था।
सुभाष शर्मा पूर्व भाजपा नेता तथा पूर्व संपादक हिमालय दर्पण हैं। हुआ यूं था कि सुभाष शर्मा ने फेसबुक वॉल पर लिखा था कि “विकास नगर के विधायक मुन्ना सिंह चौहान और सीएम त्रिवेंद्र के बीच जबरदस्त कहासुनी। CM ने कहा दुबारा मत आइएगा और मुन्ना ने कहा कि कभी आऊंगा भी नहीं।”
पुरानी सियासी अदावत में नया तड़का
गौरतलब है कि सुभाष शर्मा की मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से पुरानी सियासी अदावत है। दोनों भाजपा नेताओं के रायपुर विधानसभा क्षेत्र को लेकर सियासी प्रतिद्वंदिता रही है। सुभाष शर्मा पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक के द्वारा भाजपा में लाए गए थे। सुभाष शर्मा ने रमेश पोखरियाल निशंक के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन चुकी विकासनगर उपचुनाव में कई कांग्रेसियों को भाजपा में लाकर वह सीट जिताई थी किंतु सुभाष शर्मा के रायपुर से दावेदारी करने के चलते तत्कालीन कृषि मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सुभाष शर्मा को पार्टी ज्वाइन कराने से मना किया था।
हालांकि बाद में भाजपा के खिलाफ लगातार टीका टिप्पणी और प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के खिलाफ टिप्पणियों के कारण सुभाष शर्मा को भाजपा से निष्कासित कर दिया गया था।
अमित शाह के दौरे का दबाव
Facebook पर ताजा टिप्पणी को अमित शाह के देहरादून आगमन के नजरिए से भी देखा जा रहा है। गौरतलब है कि अमित शाह का देहरादून दौरा सोशल मीडिया के प्रबंधन को लेकर भी खासा अहम है। इसलिए सोशल मीडिया पर इस टिप्पणी के विरुद्ध मुकदमेबाजी के पीछे अमित शाह का सोशल मीडिया पर विशेष फोकस होना भी माना जा रहा है। इससे पहले भी सोशल मीडिया पर शराब की बोतल पकड़े त्रिवेंद्र सिंह रावत के हमशक्ल का फोटो भी सोशल मीडिया में काफी वायरल हुआ था, किंतु इस पर कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया गया। अब एक छोटी सी टिप्पणी के मुकदमे पर जाहिर है कि काफी गहरे निहितार्थ हैं और यह मुकदमा पुरानी अदावत का नतीजा भी हो सकता है। अमित शाह हालिया दौरे में राज्य के दो मंत्री पदों को लेकर भी कोई राय बना सकते हैं। इस नजरिए से मुन्ना सिंह चौहान भी एक अहम दावेदार हैं। इसलिए इस तरह की टिप्पणी के प्रति उनका प्रतिक्रियात्मक होना एक बड़ी वजह मानी जा रही है।
सुभाष शर्मा का जवाबी हमला
अब पलटवार के रूप में सुभाष शर्मा ने मुन्ना सिंह चौहान के करीबी दयाराम चौहान और मुकेश तोमर, भजन शर्मा आदि के द्वारा PWD के ठेकों के लिए भारी घोटाला करने से संबंधित आरटीआई के दस्तावेज Facebook पर अपलोड कर दिए हैं, और उनके खिलाफ कार्यवाही न किए जाने को लेकर मुन्ना सिंह चौहान और जीरो टॉलरेंस पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
PWD में ठेके हासिल करने के लिए इन लोगों ने एक दैनिक अखबार की मात्र 10 प्रतियों में उपरोक्त टेंडर छपवाकर ठेका हासिल कर लिया था। जबकि मुख्य अखबार मे वह टेंडर नहीं छपा था।
जन संघर्ष मोर्चा के रघुनाथ सिंह नेगी ने इस मामले को लेकर राज्य सूचना आयोग तक गए थे और राज्य सूचना आयोग ने इसको एक बड़ा फर्जीवाड़ा बताते हुए कार्यवाही के आदेश दिए थे। लेकिन जीरो टॉलरेंस की सरकार में पिछले एक साल से यह कार्यवाही मुख्यमंत्री कार्यालय में जबरन दबा कर रखी गई है। अब इस कार्यवाही के खुलने की भी आसार ताजा हो गए हैं।
एक राजनीतिक टिप्पणी के खिलाफ खत्म हो चुकी धारा में मुकदमेबाजी और उसके पलटवार के रूप में मुन्ना सिंह चौहान के करीबियों पर इस तरह के हमलों से ऐसा लगता है कि यह लड़ाई अब जल्दी तो थमने से रही। देखना यह है कि अमित शाह का सोशल मीडिया प्रबंधन इस लड़ाई में किस काम आता है !