आकाश नागर
एक कहावत आपने सुनी होंगी कि पांचों उंगलियां अलग-अलग होती हैं। इस कहावत का अगला भाग है कि पांचों उंगलियां कितनी भी अलग हों खाते हुए एक हो जाती हैं। इसी तरह से RSS और भाजपा अपने आप को एक दूसरे से कितना ही अलग बताते हों लेकिन जब कुछ गल्लम सल्लम करना हो तो सब एक हो जाते हैं।
सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करके उस जमीन को पार्टी कार्यालय के लिए बेचने वाले एक RSS नेता और भाजपा जिला अध्यक्ष का ऐसा ही समीकरण सामने आया है।
एक तरफ भाजपा सरकार देहरादून में कोर्ट के आदेश के बाद गरीबों के मकान दुकान तोड़ रही है, वहीं भारतीय जनता पार्टी का चंपावत कार्यालय सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करके बनाया जा रहा है।
यह जमीन नहर विभाग की भूमि है। यह जमीन नदी के किनारे हैं और एनजीटी के नियमों का भी खुलकर उल्लंघन करके बन रही है।
तत्कालीन जिलाधिकारी चंपावत डॉ अहमद इकबाल ने इस जमीन पर निर्माण कार्य रुकवा कर जांच बिठाई तो कल उनका ट्रांसफर कर दिया गया।
सबसे मजेदार तथ्य यह है कि भाजपा के मातृ संगठन RSS के नेताओं ने पहले यह जमीन कब्जाई और फिर भाजपा को ही कई गुना महंगे दामों पर बेच दी।
अच्छी सस्ती जमीन छोड़,महंगी खराब ले ली
वर्ष 2016 में कांग्रेस ने भी इस अतिक्रमण के मामले को उठाया था लेकिन उस दौरान मामला दबा दिया गया। भाजपा के पूर्व विधायक केसी पुनेठा कहते हैं कि पहले पार्टी कार्यालय के लिए सात नाली जमीन कलेक्ट्रेट के पास देखी गई थी और यह जमीन की कीमत मात्र 5 लाख रूपए नाली थी किंतु अच्छी लोकेशन पर स्थित इस जमीन को छोड़कर एक आरएसएस नेता बलवंत सिंह बोहरा द्वारा कब्जाई गई इस जमीन पर पार्टी कार्यालय बनाना फाइनल किया गया।
ऐसे कब्जाई जमीन
दि संडे पोस्ट मीडिया हाउस ने इस मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। उन्होंने भी अपनी जांच में यह पाया था कि इस जमीन की खसरा खतौनी के अनुसार यह जमीन 3 नाली 13 मुट्ठी है और तहसील काली कुमाऊं जिला चंपावत के नाम दर्ज है। 13 अप्रैल 2016 को बलवंत बोहरा और चंद्रकिशोर ने यह जमीन भारतीय जनता पार्टी 11 अशोक रोड नई दिल्ली के नाम पर दर्ज कर दी।
इस जमीन के एक हिस्से पर इस आरएसएस नेता ने आकाशदीप नाम से अपना होटल बनाया। दूसरे हिस्से पर भाजपा कार्यालय निर्माणाधीन है।
ऐसे हुआ खुलासा
इसका खुलासा कुछ ऐसे हुआ कि जब इस RSS नेता के नाम पर कुल जमीन 3 नाली 13 मुट्ठी है। जबकि दो नाली जमीन पर होटल और दो नाली जमीन पर भाजपा कार्यालय है। इस तरह से कुल 4 नाली जमीन पर यह निर्माण होने के अलावा सिंचाई विभाग द्वारा बनाई गई एक सुरक्षा दीवाल पर भी बलवंत सिंह बोहरा ने कब्जा कर दिया है।
एक और तथ्य यह है कि इस जमीन पर भाजपा कार्यालय ने अपना नक्शा तक पास नहीं कराया है। जबकि यह भूमि नगर पालिका चंपावत के अंतर्गत आती है। जिसका नक्शा कायदे से जिला विकास प्राधिकरण से पास कराना अनिवार्य है।
यही नहीं नदी किनारे होने के कारण यह एनजीटी के मानकों का उल्लंघन करके भी बनाई जा रही है।
अपनी पार्टी को ही चुना लगा गए नेताजी
भाजपा कार्यालय के लिए इस जमीन की खरीद में चर्चा है कि यह जमीन सर्किल रेट से 22 गुना अधिक दर पर खरीदी गई। यहां का सर्किल रेट 4 लाख 71 हजार रुपए नाली है। 2 साल पहले यह रेट लगभग ₹3लाख था। 8% स्टांप ड्यूटी के बाद यह जमीन कुल सात लाख सत्रह हजार में खरीदी गई। जबकि चर्चा है कि यह दो नाली जमीन भाजपा ने 70लाख रुपए में खरीदी।
कमीशन का खेल
इस जमीन की खरीद में पूर्व जिला अध्यक्ष हिमेश कल खुड़िया और विक्रेता चंद्रकिशोर के बीच में 5 लाख रूपए कमीशन भी तय हुआ था, लेकिन बाद में दो लाख देकर कमीशन का तीन लाख रूपए न भुगतान करने पर विवाद हो गया। और इसकी शिकायत चंद्रकिशोर तथा लोहाघाट के विधायकों की शह पर प्रदेश स्तर तक की गई।
इसके चलते हिमेश कलखुड़िया को हटा दिया गया।
डॉ अहमद इकबाल तत्कालीन जिलाधिकारी चंपावत का कहना है कि उन्होंने निर्माण कार्य रुकवाकर इसकी जांच एसडीएम सदर सीमा विश्वकर्मा को दी हुई है। देखना यह है कि यह जांच कब तक पूरी होती है ! कहीं इस जांच की आंच डी एम के तबादले की तरह उल्टे SDM पर ही ना आ जाए, क्योंकि प्रदेश में आखिरकार जीरो टॉलरेंस की सरकार जो है।