ये डेनिस वाले क्या कम थे जो एक और दारूवाला उत्तराखंड आ गया। वैसे दारूवाला का नशा भी नेताओं के सिर चढ़कर बोलता है। दारूवाला का बिजनेस पीने वाली दारू वाला नहीं है, लेकिन ज्योतिष का नशा भी दारू से कम नहीं होता। बेजान दारूवाला के कहने पर जब विधानसभा चौक से शक्तिमान की लगी-लगाई मूर्ति हट गई तो पता चला कि बेजान दारूवाला की बात में कितनी जान है। कोई कह रहा है कि वो शक्तिमान घोड़ा नहीं, घोड़ी थी, इसलिए जब विधानसभा चौराहे पर शक्तिमान की पुल्लिंग मूर्ति लगाई गई तो हंसी उडऩी ही थी। कुछ लोगों ने रंदा लगाने का सुझाव दिया तो फिर एक आशंका और हो गई कि ऐसे में तो शक्तिमान किन्नर हो जाएगा। फिर एक बात और आई कि जिस जमीन पर यह मूर्ति लगाई गई थी, वो तो भाजपा के पूर्व मंत्री हरबंश कपूर के बेटे को स्वामित्व वाली कंपनी की निजी भूमि है। कारण कुछ भी रहा हो, पर दारूवाला की बात पर ही आखिर मुहर लगी। वैसे भी उत्तराखंड में आजकल दारूवालों की खूब चल रही है।
अपने को तुर्रम खां बताने वाले पत्रकार मियां का नया किस्सा आजकल फिर बाजार में है। फोकट की खाने वाले पत्रकार ने एक क्षेत्रीय दल के छुटभैये और एक व्यापारी के साथ मिलकर सब्सिडी वाली सरकारी योजना चपट करने की योजना बनाई। व्यापारी, पत्रकार और छुटभैये की मीठी बातों में आ गया। व्यापारी ने बैंक लोन से लेकर भूमि चयन तक की सरकारी प्रक्रिया पूरी कर दी तो तुर्रम खां पत्रकार ने हिसाब लगाया कि सब्सिडी तो लाखों की है। अगर तीन लोगों में बंटी तो उसके हिस्से में कम आएगा। उसने व्यापारी से छुटभैये को कंपनी से बाहर करवाने का षडयंत्र रचने का आदेश दिया। व्यापारी समझ गया कि जो आज अपने ही लाए छुटभैये को काम शुरू होने से पहले ही बाहर करवा रहा है, वो कल उसकी क्या हालत करेगा। व्यापारी ने भी ७० हजार के नुकसान में ही भलाई समझी और अपने को ही किनारे कर लिया। अब छुटभैया और पनौती पत्रकार दोनों किसी तीसरे को घेरने की तैयारी में है।
…तो टिहरी से लड़ेंगे किशोर!
गैरसैंण को लेकर मैदानी जिलों से राय लेने वाले किशोर के बयान से आजकल सियासी गलियारों में शोर मचा हुआ है। क्या उनकी नजर अब किसी मैदानी सीट की तरफ है? या यह केवल हरीश रावत को दबाव में लेने की रणनीति है! कांग्रेस के संगठन की कमान किशोर उपाध्याय के हाथ में है तो इतना तो तय है कि वह टिहरी से अपना टिकट इतनी आसानी से तो दिनेश धनै की झोली में तो डालने से रहे। इधर धनै हैं कि इंतजार कर रहे हैं कि मुकाबला हो ही जाए। जाहिर है कि धनै निर्दलीय लड़ेंगे और उनका आश्वासन भी है कि यदि हरीश रावत की सरकार बनने की संभावना होगी तो वह हरीश रावत को ही सपोर्ट करेंगे। इधर सीएम के सलाहकार किशोर को समझाते-समझाते थक गए हैं कि ऋषिकेश उनके लिए नई सीट होने के नाते बेहतर है। रणनीति भी यही सुझाई गई है कि ठीक एक महीने पहले पूरा फौज-फाटा लेकर डट जाओ और नाम तो है ही, पहाड़ी वोटों से जीत भी जाएंगे, लेकिन जो जिद न करे वो किशोर किस बात के!