ऋषिकेश में मंडी समिति के सहायक अपने निजी वाहन से सचल दस्ते में छापामारी करते हैं। अवैध वसूली के लगे आरोप
योगेश डिमरी/ऋषिकेश
मंडी सहायक अपनी गाड़ी में उत्तराखंड सरकार लिखवाकर सचल दस्ते में जा कर खुलकर अवैध वसूली कर रहे हैं।
ऋषिकेश की मंडी समिति के मंडी सहायक किशनपाल सिंह ने पहले अपने पुत्र प्रवेश कुमार की कॉमर्शियल गाड़ी में आगे पीछे दोनों तरफ उत्तराखंड सरकार लिखवाया, फिर उस गाड़ी का दुरुपयोग सचल दस्ते में कर बेखौफ गैरकानूनी वसूली का काम कर रहे हैं। आरोप है कि इसके लिए वे दो पीआरडी जवानों को भी अपने साथ लेकर जाते हैं और जो कोई बिना मंडी शुल्क दिए मंडी के बाहर ही सब्जी बेचने का गैरकानूनी काम करता है, उसे ये गैरकानूनी तरीके से उपयोग में लाई गई गाड़ी और उसमें बैठाए गए दो पीआरडी जवानों की धौंस दिखाकर मनमाफिक वसूली करते हैं, जबकि सचल दल में मंडी निरिक्षक जाता है। यही नहीं इन्होंने तो कुछ गाडिय़ों को बिना शुल्क दिए ही मंडी में प्रवेश की छूट भी दिलवा रखी है।
मंडी समिति को सचल दस्ते के लिए एक गाड़ी की जरूरत थी। इसके लिए उन्होंने अपने पुत्र के नाम से गाड़ी ली और फिर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए जून 2013 में यह गाड़ी नम्बर यूके 08 टीए 3930 को अपने ही विभाग में लगवा दिया, जबकि नियमानुसार कोई भी सरकारी सेवक अपने परिवार और रिश्तेदार को अपने कार्यरत विभाग से इस तरह का लाभ नहीं दिलवा सकता है। बावजूद इसके इन्होंने ये गाड़ी एक साल की अवधि के लिए विभाग में कांटेक्ट बेस में लगवाई। उसके बाद बिना टेंडर करवाए अगले सालों के लिए भी रिन्यू करवाते रहे। अपनी गाड़ी को परमानेंट लगवाए रखने के लिए इन्होंने बाकायदा उस गाड़ी में आगे और पीछे दोनों तरफ गाड़ी में ही उत्तराखंड सरकार लिखवा दिया, जबकि सरकारी विभाग में लगी गाड़ी में इस तरह लिखवाना कानून के खिलाफ है। उसके बाद नवंबर 2015 में विभाग ने अपनी गाड़ी खरीद ली, जिससे इस गाड़ी को विभाग से बाहर कर दिया गया, परंतु सहायक ने गाड़ी में उत्तराखंड सरकार मिटाने के बजाए उससे अपने हित के लिए विभागीय काम करवाते रहे।
यहां होने वाली अवैध वसूली और विभाग में इनकी सेटिंग तो इस कदर है कि ये यहां कई सालों से टिके हैं और जब भी इनका कहीं स्थानांतरण होता है, ये कुछ समय बाद वापस यहीं आ जाते हैं। यही नहीं इन्होंने अपने ड्राइवर को भी विभाग में एडजस्ट करवा दिया है।
वहीं मंडी के सचिव प्रभाकर रंजन लखेड़ा ने इसके खिलाफ कार्यवाही करने के बजाय इसे खुली छूट दे रखी है। उल्टा ये सरकारी गाड़ी को अपने खुद के प्रयोग के लिए देहरादून ले जाते हैं और सहायक अपनी निजी गाड़ी का प्रयोग सरकारी कामों के लिए करता है।
इस संबंध में सचिव लखेड़ा का कहना है कि सचल दल में गया अधिकारी तय करता है कि पकड़ी गई गाड़ी पर एक हजार से लेकर ५० हजार तक का जुर्माना लगा सकता है।
वहीं मंडी समिति के पूर्व अध्यक्ष राकेश अग्रवाल ने कहा कि नवंबर 2015 के मेरे कार्यकाल में ही सरकारी गाड़ी उपलब्ध होने से हमें इस गाड़ी की जरूरत नहीं थी। यदि आज भी इस गाड़ी पर ऐसा लिखा है तो उस पर आरटीओ को तुरंत कार्रवाही करनी चहिए।
इस संबंध में आरटीओ डा. अनीता चमोला का कहना है कि ऐसी स्थिति में गाड़ी का चालान काटते हैं। इसके अलावा उक्त गाड़ी का परमिट निरस्त करने का भी प्रावधान है।
अवैध वसूली और विभाग में इनकी सेटिंग तो इस कदर है कि ये यहां कई सालों से टिके हैं और जब भी इनका कहीं स्थानांतरण होता है, ये कुछ समय बाद वापस यहीं आ जाते हैं। यही नहीं इन्होंने अपने ड्राइवर को भी विभाग में एडजस्ट करवा दिया है।