2 अक्टूबर से 25 दिसंबर तक चलेगा अभियान
दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होने के साथ ही किसानों की आय में होगा इजाफा
अगर आप किसान हैं और अपने पशुओं में उच्च उत्पादकता के स्वदेशी सांडों (एचवाई-आईबी) के वीर्य से स्वदेशी नस्ल की गाय-भैंसों में कृत्रिम गर्भाधान तथा टीकाकरण करवाने की सोच रहे हैं तो तैयार हो जाइए, इसके लिए पशुपालन विभाग के डॉक्टरों की टीम आपके घर-घर आएगी। यह अभियान 2 अक्टूबर से आगामी 25 दिसंबर 2018 तक चलेगा।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रायोजित कृषि कल्याण अभियान के अंतर्गत उच्च उत्पादकता के स्वदेशी सांडों (एचवाई-आईबी) के वीर्य से स्वदेशी नस्ल की गाय भैंसों में कृत्रिम गर्भाधान तथा टीकाकरण किया जा रहा है। इसके लिए उत्तराखंड के दो महत्वाकांक्षी जिलों हरिद्वार एवं ऊधमसिंहनगर के सौ-सौ गांवों का चयन किया गया है। इसका उद्देश्य यह है कि चयनित ग्रामों के स्वदेशी एवं संकर नस्ल की गाय व भैंसों में स्वदेशी सांडों के वीर्य से कृत्रिम गर्भाधान करवाया जाएगा। इससे जहां दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होगी, वहीं उच्च अनुवांशिक गुणों एवं उच्च रोग प्रतिरोधक क्षमता के स्वदेशी पशुओं की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी। साथ ही कृषकों की आय में भी इजाफा होगा।
यह अभियान २ अक्टूबर से आगामी २५ दिसंबर तक चलेगा। इन चयनित गांवों के कृषकों के घर पर ही टीकाकरण एवं नि:शुल्क कृत्रिम गर्भाधान सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इस दौरान शत प्रतिशत एफएमडी टीकाकरण गौ एवं महिषवंशीय पर किया गया जाएगा। इसके अलावा भेड़-बकरियों पर भी शत प्रतिशत पीपीआर टीकाकरण किया जाएगा।
परियोजना के संचालन हेतु प्रत्येक चयनित गांव के १०० स्वदेशी एवं संकर गाय (दुग्ध उत्पादन ८ ली. प्रतिदिन से कम) भैंसों को स्वदेशी नस्ल के उच्च अनुवांशिक गुणों वाले सांडों के वीर्य से कृत्रिम गर्भाधान से आच्छादित किया जाएगा। इस दौरान कुल २० हजार पशुओं का नि:शुल्क कृत्रिम गर्भाधान कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
उत्तराखंड लाइवस्टॉक डेवलपमेंट बोर्ड के मुख्य अधिशासी अधिकारी डा. एमएस नयाल बताते हैं कि यूएलडीबी द्वारा महत्वाकांक्षी जनपद के चयनित गांवों में पशुओं हेतु उच्च अनुवंशिक गुणों वाले स्वदेशी सांडों के वीर्य से नि:शुल्क कृत्रिम गर्भाधान सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इसके लिए पशुपालक अपने घर में ही इसका लाभ उठा सकते हैं। यह स्वदेशी पशुओं के संरक्षण एवं संवद्र्धन में योगदान दे सकता है। इससे पशुओं की नस्ल सुधार में सहायक होगा और कृषक दुग्ध उत्पादन में भी बढोतरी कर अपनी आय भी बढ़ा सकते हैं।
डा. नयाल बताते हैं कि कुल ६० हजार अनुमानित कृत्रिम गर्भाधान से कुल २० हजार अनुमानित पशु गर्भित होंगे। इनसे उत्पन्न संतति १० हजार नर बछड़े एवं १० हजार बछियां। आने वाले कुछ समय में उत्तराखंड के योजनांतर्गत ग्रामों में ७० हजार लीटर प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होने के साथ ही किसानों की आमदमी में भी खासा इजाफा होगा।
कृत्रिम गर्भाधान सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध कराई जा रही है, जिसके लिए आईएनएपीएच पोर्टल में पंजीकरण के बाद प्रत्येक कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता को ५० रुपए प्रति गर्भाधान एवं १०० रुपए प्रति संतति उत्पन्न होने के बाद मानदेय के रूप में दिया जाएगा।
नि:शुल्क कृत्रिम गर्भाधान सुविधा हेतु यूएलडीबी अनुवाद २१ लाख रुपए की वित्तीय सहायता दी जा रही है। चयनित ग्रामों में नि:शुल्क सुविधा हेतु निकटतम पशु चिकित्सालय, पशु सेवा केंद्र एवं उत्तराखंड में पंजीकृत, स्वरोजगारी कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ताओं अथवा बायफ संस्थाओं से संपर्क किया जा सकता है।
अभियान की जानकारी राष्ट्रीय पोर्टल कृषि विज्ञान केंद्र केवीके पोर्टल पर भी देखी जा सकती है। चयनित पशुओं का आईएनएपीएच पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य है, जिसके लिए पशु संजीवनी कंपोनेंट के अंतर्गत टेबलेट्स उपलब्ध कराए गए हैं एवं कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता द्वारा आईएनएपीएच पोर्टल पर डाटा एंट्री के उपरांत ही मानदेय का भुगतान किया जाएगा।