नीरज उत्तराखंडी
जनपद उत्तरकाशी के विकास खण्ड मोरी के तालुका में स्थापित उत्तराखंड अक्षय उर्जा अभिकरण उरेडा की 20 किलो वाट की लघु जल विद्युत परियोजना में विद्युत उत्पादन बन्द होने से यह परियोजना शोपीस बनकर रह गई है। यह परियोजना जहाँ विभाग तथा ठेकेदारों के लिए कामधेनु बन कर रह गयी है वही ग्रामीणों के लिए सफेद हाथी ही साबित हो रही है ।
बताते चलें कि तालुका में वर्ष 2009-10 में 33.44 लाख रूपये की लागत से उरेडा द्वारा 20केवी की लघु जल विद्युत परियोजना का निर्माण किया था।जिससे तालुका में रह रहे 60 परिवार के घरों को बिजली की रोशनी से रोशन किये जाने का लक्ष्य था। इसका रखरखाव तथा संचालन के लिए स्थानीय समिति का गठन किया गया था ।शुरूआत के कुछ महीनों में ग्रामीणों को बिजली की रोशनी जरूर मिली लेकिन उसके बाद पवार प्रोजेक्ट बन्द पड़ा है । सूत्रों के अनुसार विभाग ने संचालन तथा रखरखाव समिति के साथ मिलीभगत कर रिपेयरिंग के नाम पर खूब धन भी ठिकाने लगाया लेकिन विघुत उत्पादन ठप होने से यह लघु जल विद्युत परियोजना स्थानीय लोगों के लिए शोपीस बन कर रह गई । वर्तमान समय में आलम यह है कि विघुत उत्पादन गृह में रखे तंत्रों में जंग लग चुका है तथा विघुत गृह घास रखने का सुरक्षित अडडा बन गया है। विभाग की लापरवाही तथा उपेक्षा का खामियाजा स्थानीय ग्रामीणों को भुगतान पड़ रहा है।इस संबंध में जब उरेडा के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी मनोज कुमार से पूछा गया तो उनका कहना है कि तालुका लघु जल विद्युत परियोजना स्थानीय स्तर पर गठित रखरखाव और संचालन समिति के सहयोग से संचालित की जा रही है ।वर्तमान समय में तालुका में यूपीसीएल की विद्युत लाइन पहुँचने से वहां रह रहे परिवार युपीसीएल की बिजली का लाभ ले रहे है।अब इस परियोजना को पीपीए मोड में यूपीसीएल के साथ संचालित की जायेगी । संचालन समिति ने परियोजना को संचालित न कर पाने में असमर्थता जाते हुए विभाग को पत्र लिखकर अवगत करवाया गया है । विद्युत उत्पादन गृह में घास रखे जाने का मामला उनके संज्ञान में नहीं है।बहरहाल अधिकारी अपने बचाव में कुछ भी कहे लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि वर्तमान समय में पावर हाउस कूडा घर में तब्दील हो गया तथा विधुत गृह घास और चारा पत्ती रखने की सुरक्षित जगह बन गई है। वहीं संचालन समिति परियोजना का कितना रखरखाव करती है विद्युत उत्पादन गृह का चारा स्टोर में तब्दील होना समिति की उदासीनता तथा गैर जिम्मेदाराना रवैये को साबित करने के लिए काफी है।समिति ने अब संचालन में असमर्थता जता कर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने की फिराक में है । बहरहाल परियोजना महज स्वार्थ पूर्ति का जरिया बन कर रह गयी है ।स्थानीय लोगों के लिए यह परियोजना सफेद हाथी साबित हुई है।ब्लाक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजपाल रावत का कहना है कि विभाग तथा संचालन समिति की लापरवाही तथा गैरजिम्मेदारी के चलते यह परियोजना जनता के लिए सफेद हाथी बनकर रह गई है। वहीं संचालन समिति के सचिव प्रलाहद रावत से उनके मोबाइल नम्बर पर उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क किया गया तो संम्पर्क नहीं हो पाया।संम्पर्क होते ही उनका पक्ष अपडेट किया जायेगा ।