पर्वतजन आज पाठकों के सम्मुख कुछ फोटोग्राफ रख रहा है, जिसे देख कर पाठक खुद विश्लेषण कर सकते हैं कि आखिर पिछले एक माह से मुख्यमंत्री निवास में आखिर चल क्या रहा है ! क्या मुख्यमंत्री निवास षडयंत्रों के तिलिस्म में अय्यारों का अड्डा बन कर रह गया है!इन फोटोग्राफ में आप देख सकते हैं कि संजय गुप्ता नाम के जिस भाजपा कोषाध्यक्ष का दस लाख रुपए लेते हुए स्टिंग किया गया है, वह मुख्यमंत्री निवास में मुख्यमंत्री के साथ स्टिंग करने वाले आयुष गौड़ नाम के पत्रकार के साथ ही खड़ा है।
देखिए वीडियो
आयुष गौड़ वही पत्रकार है, जो स्टिंग करने वाली टीम का हिस्सा था। गौरतलब है कि संजय गुप्ता भाजपा का कोषाध्यक्ष है और देहरादून के त्यागी रोड पर अभिनंदन नाम से एक होटल का मालिक है।
संजय गुप्ता मुख्यमंत्री के दोस्त हैं और उनके बैडमिंटन फ्रेंड भी हैं। पिछले दिनों समाचार प्लस के स्टिंग प्रकरण में गिरफ्तार पत्रकारों ने हाई कोर्ट को बताया था कि किस तरह से संजय गुप्ता ने मुख्यमंत्री से मिलाने के नाम पर उनसे दस लाख रुपए तीन बार में लिए थे। पहली मुलाकात में संजय गुप्ता ने ₹5लाख लिए थे दूसरी मीटिंग में डिनर के वक्त ₹2लाख लिए थे और ₹3लाख नोएडा से इनके अकाउंट में कैश डिपॉजिट हुए थे।इस स्टिंग प्रकरण में आयुष गौड़ नाम के पत्रकार ने बाद में खुद ही उमेश जे कुमार और अन्य पत्रकारों के खिलाफ सरकार को अस्थिर करने, ब्लैकमेल करने और धमकाने का आरोप लगाते हुए एफ आई आर दर्ज कराई थी।पहला सवाल उठता है कि आखिर स्टिंग करने वाला और रिश्वत लेने वाला दोनों बगलगीर कैसे हो गए !
दूसरा सवाल यह उठता है कि जब यह आरोप लग रहा है कि संजय गुप्ता ने सीएम से मिलाने के नाम पर दस लाख रुपए लिए थे और हाई कोर्ट ने बाकायदा इसकी जांच के आदेश दिए हैं तो फिर क्या दोनों सीएम के साथ क्यों है ! अथवा सीएम इन के साथ क्यों है ! सीएम ने इनसे किनारा क्यों नहीं किया !
इन फोटोग्राफ्स में से एक मे आयुष गौड़ मुख्यमंत्री के पांव छू रहा है और उन्हें गुलाब दे रहा है। एक दूसरे फोटोग्राफ में आयुष गौड़ शान से मुख्यमंत्री निवास के खंबे से लटक लटक कर पोज देते हुए फोटो खिंचा रहा है।तीसरा सवाल यह है कि आखिर यह मुख्यमंत्री निवास में कर क्या रहा है ! अगर आप इस खबर में दिए गए वीडियो को ध्यान से देखेंगे तो चौथा सवाल और बनता है कि आयुष गौड़ पत्रकार वार्ता में खुद कहता है कि वह एफ आई आर में दर्ज पत्रकारों को नहीं जानता तो फिर भला एफआइआर में पत्रकारों का नाम और पूरा पता भला उनसे किसने लिखवाया ! जब उनसे पर्वतजन ने जोर देकर पूछा तो उन्होने “नो कमेंट” कह दिया। नो कमेंट कहना अपने आप में इस बात को स्वीकार करना है कि इस एफ आई आर के पीछे आयुष गौड़ एक मोहरा है।पाठकों को याद होगा कि 28 अक्टूबर को उमेश जी कुमार की गिरफ्तारी हुई थी। जबकि 25 अक्टूबर को आयुष गौड़ उमेश जे कुमार के देहरादून स्थित आवास पर गया था और उमेश कुमार के बच्चों से मिला था। साथ ही उसने समाचार प्लस चैनल भी नहीं छोड़ा था यानी चैनल में भी काम कर रहा था।
अब पांचवा सवाल यह है कि जब अगस्त में ही आयुष गौड़ उमेश कुमार के खिलाफ जान से मारने और सरकार गिराने की षडयंत्र की एफआईआर लिखवा चुका था तो फिर उसका उमेश जे कुमार के घर में आना-जाना कैसे था ! और वह चैनल में काम क्यों और कैसे कर रहा था !क्या इसका मतलब यह है कि आयुष गौड़ चुपचाप सरकार से मिल चुका था और रेकी करने के लिए उसका उमेश के घर तथा समाचार प्लस से रिश्ता बनाए रखना जरूरी था ! और अब आयुष गौड़ के फोटोग्राफ “घूसखोर” संजय गुप्ता और सीएम के साथ सामने आ जाने के बाद यह शक और गहरा गया है कि इस पूरे मामले में कुछ गहरा षड्यंत्र चल रहा है।