पिछले एक सप्ताह में गढ़वाल में बस से उतारे गए युगल के नवजात की मौत और एनआईटी शिफ्टिंग पर सरकार और अखबार भले ही मौन हैं लेकिन सोशल मीडिया में लोग इन मुद्दों पर खासे आक्रोशित हैं।
चमोली जिले के गोनी गांव के युगल को जबरन उतारे जाने पर महिला को जबरन सड़क के किनारे प्रसव कराने के लिए मजबूर होना पड़ा था। थोड़ी देर बाद इलाज के अभाव में नवजात की मौत हो गई थी। इस दौरान चल रहे विधानसभा सत्र में किसी भी जनप्रतिनिधि ने यह सवाल सदन में उठाने की जरूरत नहीं समझी। न ही अभी तक किसी जिम्मेदार जनप्रतिनिधि अथवा सरकारी अमले का इस पर कोई बयान सामने आया है।
मीडिया में लोगों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है लोगों ने आंदोलनकारियों को भी जमकर कोसा कि नेता लोग केदारनाथ फिल्म पर बैन को लेकर तो जमीन आसमान एक कर रहे हैं, लेकिन दो शब्द उन्होंने इस नवजात बच्चे की मौत पर भी बोलना उचित नहीं समझा।
अब चमोली के इस युगल ने बस से उतारने वाले ड्राइवर कंडक्टर के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने का मन बना लिया है। महिला के पति मोहन सिंह रावत ने पुलिस मे इसकी शिकायत की है। गौरतलब है कि 4 दिसंबर को 32 वर्षीय नंदी देवी को प्रसव पीड़ा होने पर चमोली के जिला अस्पताल गोपेश्वर में भर्ती कराया गया था, वहां से उसे श्रीनगर के लिए रेफर किया गया था। एंबुलेंस न मिलने पर वह एक निजी परिवहन सेवा की बस से ही श्रीनगर के लिए चल दिए थे। प्रसव पीड़ा होने पर ड्राइवर कंडक्टर प्रसूता को बीच रास्ते में ही उतार कर आगे चल दिए। विधानसभा सत्र 4 दिसंबर से 7 दिसंबर तक चला लेकिन किसी ने सदन में इस पर एक शब्द भी नहीं कहा।
महिला ने सड़क के किनारे बच्चे को जन्म दिया लेकिन बच्चा इलाज के अभाव में मर गया था। महिला के पति मोहन सिंह रावत का कहना है कि उन्होंने ड्राइवर कंडक्टर को 3 किलोमीटर आगे रुद्रप्रयाग तक पहुंचाने के लिए भी काफी अनुरोध किया था, लेकिन उन्होंने एक नहीं सुनी।
देखना यह है कि पटरी से उतरी स्वास्थ्य व्यवस्था के खिलाफ सरकार की कानों में जूं कब तक रेंगती है