जन हित के पैरोकार बेसुध!!
क्या विधवा जगिन्द्रा को मिलेगी पेंशन
क्या उसके अबोध विकलांग बालक वंश को मिल पायेगा सही इलाज
पीडित परिवार को सामाजिक सहयोग एवं सहायता की है दरकार
क्या पीड़ितों की आर्थिक मदद के लिए सामने आयेंगे फिर कोई विद्या नंद सरीखे जन सरोकार
त्यूनी देहरादून।पेंशन की राह ताकते -ताकते आँखे भी पथरा गई लेकिन पत्थर दिल रहनुमाओं का दिल नहीं पसीजा। पति पत्नी में से केवल एक को पेंशन मिलने की व्यवस्था में कालू राम की पेंशन तो बंद हो गई। लेकिन बताते हैं कि गांव में अभी भी कई ऐसे बुजुर्ग दम्पति है जो दोनों वृद्धावस्था पेंशन पा रहे है ।
15 अगस्त 2018 को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने घोषणा की कि बुजुर्ग दम्पतियों को पेंशन मिलने की व्यवस्था सरकार द्वारा की जायेगी। दोनों ही वृद्धावस्था पेंशन पाने के हकदार होंगे लेकिन यह योजना घोषणा तक ही सीमित रह गई है।
अभी तक सरकार द्वारा ऐसी कोई नीतिगत व्यवस्था नहीं की गई है। जिसे दोनों वृद्ध पति पत्नी वृद्धावस्था पेंशन पाने के हकदार बन सके। कई बुजुर्ग बीमार असहाय की पेंशन शुरू नहीं हो पाई है। इसका एक ताजा उदाहरण है फेडिज गांव निवासी 70वर्षीय कालू राम ।
पेंशन बंद होने से आलम यह है पेन्शन की टेंशन में कालू राम टीबी का पेंशेन्ट बन गया है। उनकी मुसीबत यहीं खत्म नहीं होती, उनकी पत्नी 62 वर्षीय चांदनू देवी को लकवा हो गया है जो बिस्तर पर पड़ी दर्द से कहरा रही है। हालत इस कदर है कि वह खर्च की तंगी के कारण अस्पताल नहीं पहुंच पा रहे हैं।
पेंशन बंद होने से आलम यह है पेन्शन की टेंशन में कालू राम टीबी का पेंशेन्ट बन गया है। उनकी मुसीबत यहीं खत्म नहीं होती उनकी पत्नी 62 वर्षीय चांदनू देवी को लकवा हो गया है जो बिस्तर पर पडी दर्द से कहरा रही है। हालत इस कदर है कि वह खर्च की तंगी के कारण अस्पताल नहीं पहुंच पा रहे हैं।
कुछ ऐसी मुसीबत से जूझ रहे हैं। जनपद देहरादून की पर्वतीय जन जाति क्षेत्र जौनसार बार की सीमांत तहसील त्यूनी ग्राम पंचायत अटाल के फेडिज गांव के बुजुर्ग कालू राम।
ग्राम प्रधान प्रभुलाल शर्मा ने कालु राम को दून अस्पताल में भर्ती कराया था जहां उन्हें टी बी रोग होने की पुष्टि हुई। लेकिन वह अस्पताल में ज्यादा दिन नहीं रह पाया, वजह उसकी देख रेख करने वाला कोई नहीं है।
सामाजिक कार्यकर्ता बलराज थापा का कहना है कि
देहरादून से त्यूनी अस्पताल से दवा प्राप्त करने को कहा गया तो 12 अप्रैल 2019 को कालू राम त्यूनी आये थे कमजोरी से उनसे एक कदम भी चला नहीं जा रहा था और साथ में भी कोई नहीं था। उन्होंने 108 को फ़ोन कर बुलाया जो बिना साथी के ले जाने को मुकर गया। मजबूर होकर मानवता के नाते उन्हें साथ जाना पड़ा। डाक्टर साहब ने इलाज का भरोसा दिया है। स्टाफ़ के पहुंचने पर दवा इनके घर पहुंचा दिये जाने की बात कही।
कालू राम की दर्द भारी दास्ताँ यही खत्म नहीं होती सिस्टम की लापरवाही तथा गैरजिम्मेदार रवैये के चलते उनका राशन भी बंद हो गया था लेकिन काफी जद्दोजहद के बाद राशन मिला शुरू हो गया है लेकिन अब बीमारी ने परेशान कर दिया है। कालू राम के कोई बेटा नहीं है बेटियों की शादी हो गई है। उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है।
एक बेटी जगिन्द्रा के दामाद की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी जिसका अब तक उसकी बेटी को मुआवजा तक नहीं मिला है। बहरहाल यही बेटी अब लकवा ग्रस्त मां की सेवा करने साथ साथ अपने दो बच्चों की परवरिश भी कर रही है।लेकिन आर्थिक तंगी के चलते परेशान है।
हालत यह है कि जगिन्द्रा देवी के दो बच्चे हैं, एक लड़की जिसका नाम दिव्या है, जो शिशु मंदिर अटाल गांव में कक्षा दो में पढती है ,जबकि एक बालक वंश 4 वर्ष का है, जो कि विकलांग है, वह न तो बोल पाता है, न सुनता है और नहीं चल पाता है।
जगिन्द्रा देवी पर मानों दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है एक तरफ जवानी में ही पति की सडक दुर्घटना में मौत होना, मृतक पति का मुआवजा न मिलना, वही दूसरी ओर दो बच्चों की परवरिश तथा लगवा ग्रस्त मां, टीबी से परेशान पिता तथा विकलांग बेटे की देखभाल दवा और राशन के खर्च का प्रबंध करना आसमान से तारे तोड़ लाना जैसी स्थिति हो गई है।
ऐसे समय में सामाजिक कार्यकर्ता विद्या नंद शर्मा उनके लिए एक फरिश्ता बन कर आये जिन्होंने 10 हजार रूपये की नगद सहायता करने के साथ ही उसकी विधवा पेंशन की पहल शुरू की तथा विकलांग बालक को देहरादून ले जा कर उसका इलाज करवाने का प्रयास भी किया। लेकिन अभी भी उनकी मुसीबत खत्म नहीं हुई है। पिता टीबी की बीमारी से तो मां लकवे से ग्रस्त है बालक का भी ठीक से इलाज नहीं करवा पा रही है। न ही पेंशन मिल पाई है।
जगिन्द्रा को एक और फरिश्ते का इंतजार है जो उसकी और मदद कर उसके दुःख के सहभागी बन सके। उसे उम्मीद है कि कोई विद्या नंद सरीखे फरिश्ते उसकी मदद करने को जरूर आगे आयेंगे।