उत्तराखंड में आपदा कोे आये 6 साल का लंबा वक्त हो गया है। लेकिन आपदा से ज्यादा चर्चा हर बार आपदा घोटालों को लेकर होती है। पिछले 6 सालों में हर बार कोई न कोई नया घोटाला सामने आ जाता है। जो सोचने पर मजबूर करता है कि काश इतना पैसा आपदा के बाद केदारघाटी में लगा होता तो आज वहां के हालात कुछ और ही होते। आपदा राहत के नाम पर एक बार फिर एक और महाघोटाले का खुलासा किया है मसूरी के स्थानीय अधिवक्ता रमेश कुमार जायसवाल ने।
मसूरी में मीडिया से बात करते हुए
रमेश कुमार जायसवाल ने 2013 में उत्तराखंड में आई आपदा के बाद केंद्र सरकार से उत्तराखंड सरकार को हुई जारी हुई राहत राशि में बड़े घोटाले का आरोप लगाया है। रमेश कुमार जायसवाल ने कहा कि आरटीआई के द्वारा मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार के द्वारा दिये गए राहत राशि के आकडे और उत्तराखंड सरकार द्वारा प्राप्त हुई राहत राषि में करीब 1509 करोड़ रुपयों का अंतर मिला है। जिससे साफ है कि राहत राशि में बड़ा घोटाला किया गया है।
रमेश कुमार जयसवाल ने मसूरी में मीडिया से बात करते हुए कहा कि आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2013 की आपदा प्रभावितों के लिए केंद्र सरकार ने 9171 करोड़ रुपये राज्य सरकार को दिए थे। इसके बाद एक और आरटीआई के जवाब में उत्तराखंड सरकार ने कहा कि उसे मात्र 5727 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए हैं। इसके साथ ही केंद्र ने 1934 करोड़ रुपये सीधे राज्य की विभिन्न संस्थानों को दिए थे। शिकायतकर्ता रमेश कुमार जायसवाल का कहना है कि केंद्र बिना राज्य के किसी भी संस्थान को सीधे धनराशि नहीं भेजता।
शिकायतकर्ता रमेश कुमार जायसवाल
ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनके द्वारा पूरे मामले को लेकर उच्चतम न्यायालय में पीआईएल दाखिल की गई थी। परंतु उक्त पीआईएल को खारिज कर उच्च न्यायालय की शरण में जाने की सलाह दी गई थी। जिसके बाद उनके द्वारा मामले को लेकर भारत के लोकपाल को शिकायत कर मामले में कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने अपने शिकायती पत्र में लिखा है कि आपदा राहत राशि में करीब 5 से 6 हजार करोड़ का घोटाला का आरोप लगाते हुए उत्तराखण्ड सरकार द्वारा 2013 की आपदा में मारे गए लोगों के परिजनों को नियमानुसार दिए जाने वाले डेढ़ लाख रूपए की राहत राशि भी नहीं दी गई है।
रमेश कुमार जायसवाल ने बताया की इससे पूर्व उनके द्वारा आपदा राहत राषि में हुए करोडों रूपयों के घोटालें को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय में भी शिकायत की थी जिसके बाद उक्त शिकायत को गृह मंत्रालय को उचित कार्यवाही के भेजा गया जहा सें मामले की सीबीआई जांच के लिए केंद्रीय कार्मिक प्रशिक्षण विभाग के पास राय लेने के लिए भेजा गया था परंतु इस संबंध में कोई भी कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा केन्द्रीय लोकपाल को शिकायत कर पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच के साथ घोटाले में संलिप्त राजनीतिज्ञ व ब्यूरोक्रेट्स से घोटाले की रकम को रिकवर किया जाए वहीं उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
भाजपा सरकार करेगी दोषियों पर कड़ी कार्रवाई
भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेन्द्र भसीन ने कहा कि तत्कालीन सरकार ने घोटालों को अंजाम दिया है। कैग की रिपोर्ट में भी इस बात का भी खुलासा हुआ। त्रिवेन्द्र सिंह रावत की जीरो टालरेंस की सरकार हर घोटाले बाज को सलाखों के पीछे भेजेगी।
कांग्रेस ने कहा भ्रष्टाचारियों पर कड़ी कार्रवाई हो
कांग्रेस ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि आपदा घोटाले के दोषियों पर कार्रवाही करने के बजाय भाजपा ने उन्हें गले लगाने का काम किया है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आरपी रतूड़ी ने कहा कि कांग्रेस भी चाहती है कि घोटाले के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो। प्रधानमंत्री एक तरफ कहते हैं कि आपदा में महाघोटाला हुआ और दूसरी तरफ घोटालेबाज मंच साझा करते हैं। भाजपा कांग्रेस को सिर्फ बदनाम करने का काम करती है।
शिकायतकर्ता रमेश जायसवाल का कहना है कि यह महाघोटाला अग्निपरीक्षा है भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टाॅलरेंस की बात करने वाली त्रिवेन्द्र रावत सरकार के लिये। अभी तक पूरे मामले पर चुप्पी साध कर बैठी सरकार लोकसभा चुनाव के बाद कुछ एक्शन लेती है या नहीं। केन्द्रीय लोकपाल का इस पूरे मामले पर क्या रूख रहता है। हर अपडेट से हम आपको समय-समय पर अवगत कराते रहेंगे।