कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड के नैनीताल में फर्जी अधिकारी बनकर आए कुछ लोगों को पुलिस ने थाम लिया और उनके वाहन से नीली बत्ती उतारकर उनका चालान कर दिया। सभी आरोपी एक एक कर बाथरूम और दूसरे कामों का सहारा लेकर खिसक लिए।
नैनीताल में इनदिनों पर्यटन सीजन अपने चरम पर है। ऐसे में वी.आई.पी.सुविधा के लालच में कई अधिकारियों और मंत्रियों के रिश्तेदार भी अपने को अधिकारी और मंत्री ही समझने लगते हैं। वी.आई.पी.शहर कहे जाने वाले नैनीताल में देशभर से आए लोग वी.आई.पी.व्यवहार की आस लगाने लगते हैं और इस लालच में बड़ी गलतियां कर जाते हैं। गाड़ियों पर लाल और नीली बत्ती को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद, केवल जिलाधिकारी, एस.एस.पी., दमकल विभाग और एम्ब्युलेंस को ही बत्ती लगाने की अनुमति मिली है। न्यायालय ने तो मंत्री और जजों को भी सामान्य गाड़ियां रखते हुए सादा जीवन यापन करने का इशारा किया था।
लेकिन यहां तो यू.पी.के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के कथित रिश्तेदार टवेरा गाड़ी संख्या यू.के.08ए.जे.1965 में नीली बत्ती लगाकर दनदनाते हुए नैनीताल पहुँच गए ।
ऐसे लोगों का सड़क और पार्किंग में सामना अमूमन कॉन्स्टेबल, हैड कॉन्स्टेबल और एस.आई.तक के पुलिस वालों से होता है। ये उन्हें अपनी धमकी से डरा धमका कर अपना मकसद सिद्ध कर लेते हैं। नैनीताल के मल्लीताल स्थित पर्यटन चौकी पर इनका सामना एक होशियार कॉन्स्टेबल से हो गया जिसने पूछताछ के बाद इनकी बत्ती और हेकड़ी दोनों उतार दी। पुलिस के आला अधिकारियों ने मामले की जानकारी ली और वाहन का चलन कर दिया। चालान प्रक्रिया के दौरान फर्जी आई.पी.एस.अधिकारी बनकर आए हरी हाफ शर्ट में ये लोग एक एक कार फरार हो गए। पुलिस ने भी मामला अपने विभाग से जुड़ा होने के कारण महज चालान कर रफा दफा कर दिया।