राजेश शर्मा
भाजपा विधायक के रसूख के आगे खाकी बनी शुतर्मुर्ग !
हरिद्वार/देहरादून। उत्तराखण्ड के पुलिस महकमे में कुंवर प्रणव चैंपियन का भौकाल कायम है और उनके लिए नियम कानून कोई मायने नहीं रखते। पुलिस उनके काफिले में चल रही प्राइवेट कार जिस पर पुलिस व एस्कॉर्ट लिखा है देखकर भी चुप है।
मीडिया इस निजी गाड़ी पर एस्कॉर्ट लिखे होने की खबर 3 दिन से दिखा रहा है लेकिन ट्रैफिक पुलिस से लेकर पुलिस मुख्यालय तक के शीर्ष अधिकारी गांधीजी के बंदरों की तरह आंख, नाक, कान बंद किए बैठे हैं। ऐसी पुलिस को शुतर्मुर्ग नहीं तो और क्या कहेंगे?
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गली मोहल्लों में हेलमेट ना होने पर घात लगाकर वसूली करने वाली ट्रैफिक और सीपीयू पुलिस से जनता जानना चाहती है कि क्या इस गाड़ी पर कोई नियम लागू नहीं होते ! क्या ट्रैफिक देखने वाले परिवहन आरटीओ, सीपीयू और ट्रैफिक पुलिस के शीर्ष अधिकारियों को यह गाड़ी नजर नहीं आती ! जनता आपसेेेे जवाब चाहती है।
हैरान करने वाली बात है कि चैंपियन के काफिले में यह कार हमेशा दौड़ती होगी लेकिन पुलिस को यह फर्जीवाड़ा आज तक क्यों दिखाई नहीं दिया या उसने सबकुछ जानते हुए भी क्यों चुप्पी साधी, यह सवाल अब मित्र पुलिस की सत्यनिष्ठा पर भी उठने शुरू हो गए है?
कुंवर के काफिले की गाड़ी पर पुलिस द्वारा अपनाई जा रही कार्यशैली यह सोचने को मजबूर कर देती है कि मानो वह कह रही हो कि इसमे चैंपियन का क्या कसूर?
बता दें कि कुंवर प्रणव चैंपियन की यूके 08 एई 0123 उत्तराखंड हरिद्वार नंबर की स्कॉर्पियो गाड़ी है। इसका प्रयोग उत्तराखंड से बीजेपी विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के काफिले में होता है। जिसमें गलत तरीके से उत्तराखंड पुलिस लिखवाया हुआ है, जबकि यह गाड़ी एक निजी वाहन है जो 23 दिसंबर 2013 को राजा नरेंद्र सिंह के द्वारा खरीदी गई थी।
आखिर एक विधायक कैसे अपने काफिले में प्राइवेट कार पर पुलिस व एस्कॉर्ट लिखवा सकता है और कैसे वह पुलिस के चिन्ह का इस्तेमाल कर सकता है?
सवाल यह उठ रहे है कि उत्तराखण्ड में अकसर पुलिस के कुछ अधिकारी दावा करते रहते है कि प्राइवेट गाड़ियों पर लगी बत्तियों को हटाने का ऑपरेशन चला रही है। दूसरी ओर एक भाजपा विधायक अपने काफिले में प्राइवेट कार पर पुलिस व एस्कॉर्ट लिखकर चलता है तो उसपर पुलिस धृतराष्ट्र बन जाती है?
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