ज़िलाधिकारी जनता दरबार में पेड़ काटने की अनापत्ति से उपजा विवाद पहुँचा अमर्यादित शब्दों तक
– डीएफओ ने कहा डीएम से: जितनी आपकी उम्र नही उतनी मेरी नौकरी हो गयी है
-ज़िले में अधिकारियों का नही आपसी तालमेल
-जनता मिलन कार्यक्रम में देखने को मिली नौटंकी
बागेश्वर: राजू परिहार
एक बुज़ुर्ग की समस्या के चलते ज़िलाधिकारी के जनता मिलन कार्यक्रम में अधिकारी उतरे अमर्यादित शब्दों पर, नही रखा अपनी मर्यादाओं का ध्यान। क्या ऐसे में ही जनता को मिलेगा उचित न्याय ? जो अत्यंत निंदनीय है।
मामला बागेश्वर जनपद में प्रत्येक सोमवार को आयोजित होने वाले जनता मिलन कार्यक्रम का है। जहाँ पर एक बुज़ुर्ग अपनी समस्या लेकर ज़िलाधिकारी रंजना राजगुरु के पास पहुँचे जो वन विभाग से सम्बंधित था। उनका कहना था कि डीएफओ भुवन सिंह शाही ने पहले पेड़ काटने की अनुमति दी और जब पेड़ काटा जा रहा था तब अनुमति निरस्त कर दी। जिस पर डीएम ने कहा कि वन विभाग अत्यंत लापरवाही से काम कर रहा है जो अत्यंत निराशाजनक है। जिस पर ड़ीएफओ को नालायक़ कहते हुए लताड़ा। जिसका प्रतिउत्तर देते हुये डीएफओ ने सीधे तौर पर अमर्यादित भाषा का प्रयोग करते हुये जवाब दिया आपको जो उखाड़ना है उखाड़ लें। हम अपने तरीक़े से काम कर रहें है। जिस पर डीएम ने सम्बंधित अधिकारी को हद में रहकर बात करने की बात करने को कहते हुये मीटिंग से बाहर जाने को कहा।
डीएम साहिबा जितनी आपकी उम्र नही है उससे अधिक मेरी नौकरी हो गयी !
इस पर मामला थमने के बजाय और अधिक गरमा गया जहाँ डीएफओ ने कहा जी डीएम साहिबा जितनी आपकी उम्र नही है उससे अधिक मेरी नौकरी हो गयी है। उसके बाद एसडीएम ने डीएफओ को समझाते हुये मीटिंग से बाहर किया। जिसके चलते डीएम को जनता मिलन कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा।
भाजपा की प्रदेस सरकार में अधिकारी पूरी तरह से बेलगाम हो गए है। जो अब अपनी मर्यादाओं का भी रत्ती भर ख्याल नही कर रहे हैं जिसका ताज़ा उदाहरण हमें बागेश्वर में नज़र आया।
यहाँ पर ज़िलाधिकारी के एक अधीनस्थ अधिकारी को डाँट लगाने पर अपना आपा खो कर अपने और ज़िले के सर्वोच्च अधिकारी की गरिमा को भी तार-तार करते नज़र आये। जो लोकतंत्र के लिए चिंताजनक और निंदनीय है। जहाँ अधिकारी अपने उचाधिकारी का मान नही रखता वहाँ पर जनता मिलन जैसे कार्यक्रमों में भी कहीं न कहीं सवालिया निशान ज़रूर लगाता है।