बुधवार को राष्ट्रीय मत्स्य पालक दिवस धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्य मंत्री रेखा आया द्वारा की गई।
इस अवसर पर मत्स्य निदेशक डा. बीपी मधवाल ने बताया कि डा. हीरालाल चौधरी के अथक प्रयासों से उत्प्रेरित प्रजनन से मत्स्य बीज उत्पादन एवं तद्नुसार मात्स्यिकी क्षेत्र में आयी क्रांति के दृष्टिगत वर्ष 2001 से पूरे देश में 10 जुलाई को राष्ट्रीय मत्स्य पालक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
सचिव मत्स्य डा. आर. मीनाक्षी सुन्दरम ने बताया कि राज्य में मत्स्य पालन व्यवसाय को विस्तारित किये जाने के उद्देश्य से भारत सरकार के मिशन ब्लू रिवोल्यूशन एवं उत्तराखण्ड सरकार की संकल्पना के आधार पर वर्ष 2022 तक मत्स्य उत्पादन एवं मत्स्य पालकों की आय को दोगुना किये जाने हेतु विभिन्न योजनाओं मे कार्य किये जा रहे हंै। इस हेतु ब्लू रिवोल्यूशन के अतिरिक्त राज्य में मत्स्य पालन के समग्र विकास हेतु एनसीडीसी के माध्यम से 164.49 करोड़ की व्यापक योजना स्वीकृत करायी गयी है, जिसको यथाशीघ्र प्रारम्भ किया जायेगा।
राज्य मंत्री रेखा ने मत्स्य पालकों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार द्वारा मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा अनुमन्य करा दिया गया है एवं मत्स्य पालकों हेतु भी किसान क्रेडिट कार्ड की व्यवस्था प्रारम्भ करा दी गयी है। मत्स्य पालकों को रियायती दरों पर विद्युत आपूर्ति कराये जाने हेतु शासन स्तर से कार्यवाही किये जाने का आश्वासन दिया गया। मत्स्य पालकों के हितों की रक्षा हेतु जनपद हरिद्वार एवं ऊधमसिंहनगर स्थित ग्राम समाज के तालाबों में अतिक्रमण हटाये जाने, तालाबों का सीमांकन कराये जाने एवं पात्रता के आधार पर तालाबों का आंवटन कराये जाने हेतु भी शासन स्तर से यथाआवश्यक कार्यवाही किये जाने हेतु आश्वासित किया गया है।
रेखा आर्य द्वारा बताया गया कि विभाग द्वारा पूरक आहार प्रणाली एवं जलराशियों में अनिवार्य फिंगरलिंग संचय को प्राथमिकतायें दी जा रही है। मत्स्य पालकों से अपील की गयी कि वे उक्तानुसार सही आकार का मत्स्य बीज संचय करते हुए पूरक मत्स्य आहार प्रणाली को अपनाएं, जिससे कि अधिक मत्स्य उत्पादन से अधिक लाभ प्राप्त हो सके एवं राज्य में मत्स्य उत्पादन को बढ़ाया जा सके। राज्य में मत्स्य प्रसंस्करण हेतु अपार संभावनाएं हंै। इसी के दृष्टिगत गत वर्ष में मत्स्य विभाग द्वारा मोबाइल फिश आउटलेट की योजना प्रारंभ करायी गयी है। इससे बेहतर परिणाम प्राप्त होने के फलस्वरूप इस योजना को और अधिक विस्तारित किया जा रहा है।
राज्य मंत्री ने ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, पौड़ी एवं हरिद्वार के 5 मत्स्य पालकों को मोबाइल फिश आउटलेट भी वितरित किये। इसके अलावा अनुपम पहल के रूप में अनुसूचित जाति वर्ग के 3 मत्स्य पालक जनपद हरिद्वार, देहरादून एवं ऊधमसिंहनगर तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग के जनपद देहरादून के 1 मत्स्य पालक को अर्थात कुल 4 ई-रिक्शा अधारित मोबाईल फिश स्टॉल भी जनपदों से चयनित मत्स्य पालकों को उपलब्ध कराये गये।
इस दौरान मत्स्य पालकों से मत्स्य पालन क्षेत्र में और अधिक क्षमता के साथ कार्य करने हेतु प्रेरित किया गया। मत्स्य पालकों को मत्स्य पालन में आ रही व्यवहारिक कठिनाइयों के सम्बन्ध में चर्चा की गयी। मत्स्य पालकों की अधिकांश समस्यायें तालाबों का पट्टा, तालाबों से मछलियों की चोरी, बीमा की सुविधा आदि पायी गयी। इस सम्बन्ध में विभागीय अधिकारियों द्वारा समस्याओं का निराकरण किया गया एवं जिन प्रकरणों पर शासन स्तर से ही कार्यवाही की जा सकती है, के सम्बन्ध में प्रस्ताव शासन को प्रेषित किये जाने का आश्वासन भी मत्स्य पालकों को दिया गया। निदेशक मत्स्य द्वारा जनपद हरिद्वार के मत्स्य पालकों को यह भी बतााया गया कि आकांक्षात्मक जनपद के रूप में जनपद हरिद्वार चयनित हुआ है, जिसमें भारत सरकार के माध्यम से बजट प्राप्त होगा, इसमें मत्स्य पालको की भागीदारी और उनका इन कार्यक्रमो के प्रति रुचि लिया जाना भी अनिवार्य है।
कार्यक्रम में डा. आर. मीनाक्षी सुंदरम सचिव मत्स्य, देव कृष्ण तिवारी अपर सचिव मत्स्य, केके जोशी निदेशक पशुपालन, डा. प्रकाश नौटियाल प्रोफेसर जन्तु विज्ञान विभाग हेनबग विश्वविद्यालय, डा. आरएस चौहान विभागाध्यक्ष जल जीव पालन, जीबी पंत यूनिवर्सिटी पंतनगर, डा. बीपी मधवाल निदेशक मत्स्य, एचके पुरोहित संयुक्त निदेशक मत्स्य एवं विभागीय अधिकारियों के साथ-साथ जनपद हरिद्वार एवं देहरादून व अन्य जनपदों के मत्स्य पालकों द्वारा प्रतिभाग किया गया।