उत्तराखंड राज्य के लिए इससे अधिक शर्मनाक और क्या हो सकता है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत टिहरी वैन दुर्घटना के मृतकों के परिजनों का आक्रोश शांत करने में असमर्थ सिद्ध हुए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हस्तक्षेप करना पड़ा।
टिहरी दुर्घटना में मुख्यमंत्री ने कहीं भी ऐसा ऐलान नहीं किया, जैसा प्रधान मंत्री मोदी ने किया।
पीएम का ट्वीट
प्रधानमंत्री ने टिहरी में स्कूल वैन दुर्घटना में मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख मुआवजा तथा घायलों को 50-50 हजार रुपए दिलाने का ऐलान किया है।
अहम सवाल यह है कि यदि वाकई डबल इंजन एक ही दिशा में काम कर रहे होते तो यह ऐलान तो प्रधानमंत्री जी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से भी करा सकते थे। आखिर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा ट्वीट किए गए इस ऐलान को क्या समझा जाए !
क्या डबल इंजन के बीच में आपस का सामंजस्य ही खत्म हो गया है !!
सीएम का ट्वीट
गौरतलब है कि चंद रोज पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जब दुर्घटना के छह दिन बाद प्रताप नगर हेलीकॉप्टर द्वारा पहुंचे तो उनका भारी विरोध किया गया था।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत मृतकों के परिजनों को एक-एक लाख मुआवजा देना चाह रहे थे, लेकिन ग्रामीणों ने एक लाख मुआवजा लेने से इंकार कर दिया। ग्रामीणों का कहना था कि उनके क्षेत्र की मूलभूत समस्याओं को दूर किया जाए।
अहम सवाल यह भी है कि एक साल पहले धुमाकोट बस दुर्घटना में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मृतकों के परिजनों को दो- लाख और घायलों को ₹50000 देने का ऐलान किया था। फिर टिहरी दुर्घटना के लिए ऐलान की धनराशि एक लाख क्यों हो गई ! इस पर भी ग्रामीणों में खासा आक्रोश था।
ग्रामीणों में यह भी आक्रोश था कि अगर दुर्घटना के 6 दिन बाद मुख्यमंत्री का हेलीकॉप्टर मुख्यमंत्री को लेकर वहां आ सकता था तो फिर दुर्घटना के दिन वह बच्चों को लेने क्यों नहीं आया !!
गौरतलब है कि उत्तराखंड सरकार राज्य की नब्ज को समझने में पूरी तरह फेल हो चुकी है।
सरकार और सरकार के नुमाइंदों को यही समझ में नहीं आता कि कब क्या करना चाहिए।
सरकार के पास कांवड़ियों के ऊपर फूल बरसाने के लिए तो हेलीकॉप्टर है लेकिन दुर्घटनाओं के समय सरकार के हेलीकॉप्टर का तेल खत्म हो जाता है।