पर्वतजन की यह सदैव यही कोशिश रही है कि उत्तराखंड राज्य हित में यदि किसी विभाग में किसी भी तरह का भ्रष्टाचार हो रहा हो, उसको उजागर कर जनमानस के मध्य रखें।
उत्तराखंड की तकनीकी शिक्षा मे हुए एक अन्य भ्रष्टाचार का खुलासा किया जा रहा है।
इस प्रकरण में यह सामने आया है की मुख्य सचिव के आदेशों की भी तकनीकी शिक्षण संस्थान के डायरेक्टर डॉक्टर अंबरीश विद्यार्थी द्वारा अवहेलना की गई। मुख्य सचिव द्वारा निर्गत शासनादेश में यह स्पष्ट करवाया गया कि कोई भी सरकारी संस्थान विश्वविद्यालय अथवा उसके संगठक कॉलेज , राज्य हित में फालतू खर्चों पर रोक लगाएंगे तथा किसी भी तरह के वाहन बिना शासन से स्वीकृति के नहीं लिए जाएंगे। शासनादेश में यह भी स्पष्ट है कि यदि किसी भी संस्थान में पूर्व से कोई वाहन है तो वह संस्थान नया वाहन न खरीदे बल्कि पुराने वाहन की मरम्मत करवाकर संस्थान के कार्यों में इस्तेमाल करे।
परंतु यह तकनीकी विश्वविद्यालय है साहब , यहां के डायरेक्टर अपने आप को मुख्य सचिव से भी ऊपर समझते हैं. मामला पिथौरागढ़ इंजीनियरिंग कॉलेज का है जहां पर कॉलेज के डायरेक्टर ने अपने लिए एक नई गाड़ी “इनोवा” कॉलेज के पैसे से खरीदी जबकि उस कॉलेज में पहले से ही एक गाड़ी खड़ी है।
शासनादेश 25 फरवरी 2019 का है तथा डायरेक्टर महोदय ने 25 फरवरी 2019 कोही नई गाड़ी को खरीदने संबंधित कोटेशन मंगा डाली।
इस संस्थान के ऑडिट रिपोर्ट में यह साफ-साफ लिखा गया है की संस्थान द्वारा 864949 रुपए अगले वित्त वर्ष तक वापस करने हैं।
अब इसे क्या कहें
इस तरह के डायरेक्टर यह समझ चुके हैं कि उत्तराखंड के तकनीकी शिक्षा में सब कुछ नियम विरुद्ध तथा उनके हिसाब से होगा. तुलाज इंस्टीट्यूट वाले फर्जी शिक्षक मामले में उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय द्वारा गठित की गई एसआईटी में यह महोदय इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर हैं तथा यह सुनने में आया है कि यह महोदय इससे पूर्व आईटी लखनऊ तथा बिट्स मैसरा से विवादित रह कर रुखसत हो चुके हैं।