उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड में विकास में फिसड्डी रह जाने के बावजूद ढाई साल की उपलब्धि के तौर पर जीरो टोलरेंस के ही सहारे पंचायत चुनाव में उतर गए हों लेकिन श्रीनगर गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय को मुख्यमंत्री की इस मुहिम से कोई सरोकार नहीं है।
हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने अपने अधीनस्थ अधिकारियों को पत्र लिखकर साफ-साफ हिदायत दी है कि कोई भी किसी भी प्रकार की जांच एजेंसी को सीधे कोई भी दस्तावेज नहीं दे सकेगा। इसके लिए कुलसचिव की मंजूरी अनिवार्य होगी।
गौरतलब है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय में दो बड़े घोटाले की जांच सीबीआई कर रही है। और एक जांच विजिलेंस के पास है। इसके अलावा तीन और जांचें हैं जो पुलिस के पास हैं।
निजी कॉलेजों को फर्जी तरीके से संबद्धता देने के घोटाले और शिक्षकों के एलटीसी घोटाले की जांच सीबीआई कर रही है।
इसके अलावा टैक्सी बिल घोटाला विजिलेंस के पास है। पौड़ी जिले की पुलिस भी तीन घोटालों की जांच कर रही है।
इन सबके बावजूद कुलसचिव का नया फरमान आया है कि जांच एजेंसियों को सीधे कोई भी दस्तावेज न दिए जाएं। क्या कुलसचिव सीएम से ऊपर है ! फिर सीएम के फरमान का क्या मतलब है !