कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने राज्य में जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में गड़बड़ी पर अपना आदेश जारी करते हुए हॉर्स ट्रेडिंग रोकने के लिए राज्य सरकार से कठोर कानून बनाने को कहा है। न्यायालय ने जनहित याचिका निस्तारित करते हुए 34 बिंदुओं पर सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं।
बाईट :- अभिजय नेगी, अधिवक्ता याचिकाकर्ता
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने विपुल जैन और आशिर्वाद गोस्वामी की जनहित याचिकाओं को सुनने के बाद एक अक्टूबर को सुरक्षित रख दिया था। अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि खण्डपीठ ने आज पंचायती चुनाव में दिए अपने अहभ आदेश में राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को हॉर्स ट्रेडिंग(खरीद फरोख्त)रोकने के कुछ अहम दिशा निर्देश जारी किए हैं।
न्यायालय ने अपने आदेश से इन चुनावों में किसी भी तरह का कोई भी भ्रष्टाचार, खरीद फरोख्त और सरकारी निष्क्रियता पर भी रोक लगा दी है।
खण्डपीठ ने कहा है कि निर्वाचन आयोग ऐसे अधिकारी नियुक्त करे जिनसे चुनाव संबंधित शिकायत करी जा सके और कार्यवाही भी हो। न्यायालय ने चयनित सदस्यों के पासपोर्ट चैक कर अपहरण या किसी प्रलोभन की आशंका से निबटने को कहा है। खण्डपीठ ने राज्य सरकार से भी प्रार्थना की है कि वो निष्क्रियता से उठकर इस मुद्दे पर कोई ठोस कानून बनाए।
न्यायालय ने कहा है कि ब्लाक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष के उम्मीदवारों को राज्य निर्वाचन आयोग लिखित में भ्र्ष्टाचार के परिणामों से अवगत कराए(जैसे नामांकन खारिज करना, चुनाव टलना आदि)। ब्लाक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनावों की अवधि को दो तीन माह के बजाए न्यूनतम (7 से 10 दिन)रखा जाय। खण्डपीठ ने कहा है कि चुनाव आयोग लिखित शिकायतों के बजाए सूचना और अखबार की खबरों पर हरकत में आए और एफ़.आई.आर.दर्ज करे।