सन् 2009 मे उत्तराखण्ड शासन में अपर सचिव आवास के पद पर रहते हुये उन्होंने एम.डी.डी.ए. अधिकारियों पर अपना रौब झाड़ कर मिलन विहार, जी.एम.एस. रोड, देहरादून मे दो प्लाट अपने नाम रजिस्ट्री करवा लिये थे। 197 मीटर व 183 मीटर के ये प्लाट पाॅश कालोनी मे एम.डी.डी.ए. ने कौड़ियों के भाव इस आई.ए.एस. अधिकारी के नाम विक्रय पत्र पंजीकृत कर दिये थे।
अगर एम.डी.डी.ए. ने उक्त प्लाटों को खुले बाजार में बोली लगाकर या बाजारी मूल्य जो लगभग 18 से 20 हजार रुपये प्रति वर्ग के दर से था बेचे जा सकते थे। पर ना तो एम.डी.डी.ए. ने खुले बजार से कोई आवेदन मांगने की जहमत उठाई, ना कोई बोली लगाई बल्कि आई.ए.एस. की हनक के आगे नतमस्तक एम.डी.डी.ए. ने उक्त प्लाटों को मात्र रुपये 3980/- प्रति वर्ग गज की दर के हिसाब से लाखों रुपये पगार पाने वाले आई.ए.एस. के चरणों में धर दिये।
आई.ए.एस बाबू की पत्नी भी एक सरकारी विद्यालय में प्रिंसिपल के पद पर तैनात हैं। केरल कैडर के इस आई.ए.एस. पर इतनी दरियादिली एम.डी.डी.ए. के सम्पत्ति अधिकारियों ने दिखाई कि विक्रय विलेख में सर्किल रेट का कोई जिक्र तक नही किया गया।
गुपचुप तरीके से किये गये हस्तानान्तरण को रजिस्ट्री में आवंटन लिखा गया। करोड़ों रुपये प्रति बीघा की दर वाली जमीन को मात्र छत्तीस लाख रुपये प्रति बीघा की दर के हिसाब से आई.ए.एस. बाबू को भेंट कर दिया गया। 380 वर्ग मीटर के इन दोनों भूखण्डों को मात्र 32873/- रुपये में एम.डी.डी.ए. द्वारा फ्रीहोल्ड भी कर दिया गया।
सन् 2009 ने उक्त प्लाट एम.डी.ए. ने आई.ए.एस. अधिकारी को 30 फुट की सड़क छोड़कर आवंटित किये थे। सन् 2009 से ही उस प्लाट की चार दीवारी भी कर दी गई थी।
अब एकाएक 20 जनवरी 2020 श्री सौरभ जैन जो आजकल दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर हैं ने 30 फुट सड़क के कुछ भाग पर दीवार कर अपना कब्जा कर प्लाट में सम्मिलित कर लिया है। सड़क कब्जाने की शिकायत कालोनी वासियों ने वसंत विहार थाने में की तो पुलिस वालों ने भी आई.ए.एस. के रौब के आगे कालोनीवासियों को न्यायालय की शरण में जाने की सलाह देकर पल्ला झाड़ दिया।
बेबस होकर 29 जनवरी 2020 को कालोनीवासियों ने मुख्यमंत्री महोदय को पत्र लिखकर उसे सी.एम. पोर्टल पर डालकर अपना रोना रोया है। कालोनीवासियों का कहना है कि उत्तराखण्ड के युवाओं व फौजियों को यहां के संसाधनों का लाभ मिलने के बजाय केरल से आये आई.ए.एस. को प्लाट की एम.डी.डी.ए. द्वारा बंदरबांट के किस्से हर कोई हैरान है।
सी.एम. पोर्टल पर शिकायत डालने के बाद कालोनीवासियों को उम्मीद तो जगी थी कि किसी पड़ोसी की झूटी शिकायत पर सीलिंग तक की संगीन कार्यवाही करने वाली एम.डी.डी.ए. ने आज तक आई.ए.एस. द्वारा बनायी गयी दीवार को ध्वस्त नहीं किया है।
अब देखना यह है कि निर्धारित सर्कल रेट से कम दरों पर एम.डी.डी.ए. द्वारा आवंटित इस भूखण्ड जीरो टौलरेन्स वाले मुख्यमंत्री महोदय द्वारा क्या इस प्लाट को सरकार मे दोबारा निहित किया जायेगा और पद का दुरूपयोग करने के मामले मे चर्चित आई.ए.एस. अधिकारी पर कड़ी कार्यवाही की जायेगी।
आईएएस जैन को आवंटन में कुछ मुख्य सवाल है?
पहला सवाल : जब ट्रांसपोर्ट नगर में दुकानों के प्लॉट भी सर्किल रेट से अधिक मुनाफे पर बेचे गए तो आईएएस को सर्किल रेट से भी कम पर क्यों दो प्लॉट दिए गए?
दूसरा सवाल: एमडीडीए ने प्लॉट बेचने के लिए सार्वजनिक विज्ञप्ति क्यों नहीं प्रकाशित की ? गुपचुप प्लॉट क्यों बांट दिए?
तीसरा सवाल : प्लॉट के बाद 10 फीट का रास्ता आईएएस सौरभ जैन ने जब कब्जाया तो एमडीडीए ने ऐतराज क्यों नहीं किया ?
चौथा सवाल : कॉलोनी वासियों के विरोध के बावजूद पुलिस प्रशासन ने और अतिक्रमण हटाने वाली टीम ने आईएएस सौरभ जैन का साथ क्यों दिया ?