मनोज नौडियाल
मामला कुछ दिन पूर्व का है। पीड़ित सुजीत रावत द्वारा अपने खेत से 6 आम के फलदार पेड़ एक सागौन का कीमती पेड़ एक कटहल का फलदार पेड़ और एक। तिमला प्रजाति का पेड़ काटने की शिकायत वन विभाग और उद्यान विभाग को की गई। तब मामला मीडिया के प्रकाश में आया।
पीड़ित के अनुसार हरे फलदार पेड़ काटने की शिकायत में उसने संजय कुमार शिब्बू नगर निवासी को आरोपित किया है। पीड़ित सुजीत रावत के अनुसार उनकी भूमि पदमपुर मोटाढांग में है जिसमें नौ वृक्ष हरे खड़े थे।
हरे वृक्षों में 6 फलदार आम के पेड़ एक कटहल का पेड़ और एक सागौन का तथा एक टिमला प्रजाति का पेड़ था। सुजीत कुमार ने आरोप लगाया कि संजय कुमार ने उसके नाम खेत से जो पेड़ काटे हैं, वह विभाग की बगैर अनुमति के बिना पेड़ काट दिए, जब इस संबंध में संवाददाता द्वारा उद्यान विभाग में जानकारी ली गई तो उद्यान विभाग के एडीओ नेहा रावत ने बताया कि संजय कुमार द्वारा उद्यान विभाग में 4 आम के हरे पेड़ काटने की अनुमति के लिए आवेदन किया था, लेकिन विभाग द्वारा उन्हें दो हरे पेड़ों की ही अनुमति दी थी, क्योंकि जो जो पेड़ हरे थे, उनमें फल आने की संभावना खत्म हो गई थी और साठ साल से ज्यादा उम्र की हो चुकी थे।
वन विभाग द्वारा इस संबंध में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया। वन विभाग द्वारा शिकायत के बाद जरूर जड़ों की नाप जोख पर ली गई, परंतु ठेकेदार पर कोई कार्यवाही नहीं की गई।
पीड़ित सुजीत कुमार के अनुसार संजय कुमार ने केवल पेड़ काटने का ही अपराध नहीं किया, वरन उसने अपने एड्रेस में जानकारी और अनुमति मांगी है। एक एड्रेस में तो उसकी भूमि भी उपलब्ध नहीं है जो कि नंदपुर मोटाढांग में है वर्तमान में और शिवपुर कोटद्वार में रह रहा है। वन विभाग द्वारा जो अनुमति दी गई वह नंदपुर मोटाढांग की दी गई है वहां पर संजय कुमार की न तो कोई भूमि है और नहीं कोई वहां पर आम के वृक्ष थे।
सुजीत रावत के अनुसार संजय कुमार द्वारा तीन तीन विभागों को गुमराह कर अपना काम अवैध रूप से किया है। सबसे पहले मामला संजय कुमार पुत्र परमानंद निवासी शिवपुर ने 4 पेड़ों की अनुमति के लिए पटवारी उद्यान विभाग में आवेदन किया, जहां पर पटवारी ने पहले तो अपनी रिपोर्ट में पेड़ दिखाए, परंतु पेड़ काटने के बाद पटवारी अपनी रिपोर्ट में पेड़ होने का कारण बता रहे हैं, वहीं उद्यान विभाग ने केवल 2 पेडों की ही अनुमति दी।
वन विभाग ने केवल 2 पेड़ों की अनुमति होने के बावजूद वन विभाग से सागौन के पेड़ की अनुमति ना होने के बावजूद सागौन के पेड़ की निकासी की अनुमति कैसे दे दी, यह प्रश्न वन विभाग पर सवालिया निशान लगाने के लिए काफी है। वर्तमान में संजय कुमार द्वारा उक्त भूमि से जड़े ही उखडवाकर भूमि को समतल कर दिया गया है।
पीड़ित परिवार के अनुसार संजय कुमार ने पेड़ काटे थे उस वक्त वह घर पर मौजूद नहीं थे और अपने बेटे के इलाज के लिए शहर से बाहर गए थे। घर आने पर जब उन्हें मालूम चला कि उनके हर एक फलदार पेड़ काट दिए गए हैं तो इसकी शिकायत लेकर वे पहले पुलिस के पास गए पुलिस ने इस संबंध में रिपोर्ट लिखने से साफ मना कर दिया। उसके बाद वह उद्यान विभाग वन विभाग गए जहां पर वन विभाग और उद्यान विभाग द्वारा अग्रिम कार्यवाही के लिए संजय कुमार को नोटिस जारी करने को कहा गया है, वहीं उप जिलाधिकारी को भी पीड़ित द्वारा इसकी शिकायत की गई। जिलाधिकारी द्वारा इस संबंध में पटवारी को निर्देशित कर जांच पूरी करने को कहा गया है।
सुजीत कुमार के अनुसार संजय कुमार ने फल शिक्षा अधिनियम और वन उपज अधिनियम दोनों का गंभीर उल्लंघन कर गंभीर अपराध किया है। उद्यान विभाग के अनुसार उनके द्वारा जितने भी पेड़ काटने की अनुमति दी जाती है। उसके स्थान पर उतने ही वृक्षों का रोपण करना होता है। वहीं वन विभाग के वी द्वारा ना खेत में पेड़ काटने के उपरांत पेड़ लगाने की शर्त रखी जाती है, परंतु संजय कुमार दोनों विभागों के नियमों की अनदेखी की गई है।
सुजीत रावत के अनुसार संजय कुमार ने जो पेड़ काटने की अनुमति ली थी और शिव नगर के नाम से ली थी, जबकि निकासी नंदपुर मोटाढांग के नाम से ली गई और पेड़ काटे गए पदमपुर मोटर हाथ में। पीड़ित सुजीत रावत के अनुसार संजय कुमार ने बार-बार देख लेने और जान से मारने की धमकी भी दे रहा है, जिससे उनके परिवार को जान माल का खतरा हो गया है अगर शीघ्र तीनों विभागों द्वारा संजय कुमार पर कार्यवाही नहीं की जाती, वह परिवार सहित आत्महत्या करने को विवश होगा।
वहीं निकाह के गड्ढों में भी पेड़ों की लंबाई मोटाई को लेकर काफी भ्रम है। वन विभाग विभाग जहां पेड़ों की दांतों की मोटाई 2 मीटर से ज्यादा दिखा रहा है, वही उद्यान विभाग ने जिन पेड़ों की अनुमति दी है, वह 1 से स्वास्थ्य मीटर तक की गोलाई तक के ही हैं। यह विभाग के द्वारा दी गई सूचना में स्पष्ट दिखाई देता है।