कृष्णा बिष्ट
परेड ग्राउंड में चल रहे धरना प्रदर्शन और आंदोलन के खिलाफ सरकार की नई कार्यवाही की चौतरफा आलोचना हो रही है।
दस मार्च को रात लगभग 1:00 बजे धरना स्थल पर जेसीबी लाई गई और 2 घंटे में जेसीबी से पूरे धरना स्थल को तहस-नहस कर दिया गया था। केवल टेंट बचे हैं। प्रशासन द्वारा अवगत करवाया गया कि क्षेत्र में धारा 144 लगा दी गई।
गौरतलब है कि विभिन्न मांगों को लेकर कई जन संगठन कई महीनों से क्रमिक अनशन, विधानसभा घेराव ,सचिवालय घेराव, और मुख्यमंत्री का पुतला दहन कर रहे हैं।
संवैधानिक अधिकार संरक्षण मंच के आंदोलनकारी सुरेंद्र सिंह का कहना है कि सरकार उनकी मांगों पर गौर करने की बजाय धरना स्थल को ही तहस-नहस कर धारा 144 लगाकर लोकतंत्र की हत्या कर रही है।
आंदोलनकारी दौलत कुंवर कहते हैं कि “इस कार्रवाई से बहुत बड़ी पीड़ा हो रही है हमारे प्रस्तावित कार्यक्रम 18 मार्च 2020 को देखकर सरकार ने इतना बड़ा कदम उठाया, ताकि इन लोगों को ही यहां से हटाया जाए। देहरादून के नगर मजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में कहा है कि धरना स्थल को अधोइवाला में शिफ्ट कर दिया गया है इसलिए अब केवल वहीं आयोजित किए जाने वाले धरना स्थलों को ही इजाजत दी जा सकेगी।
गौरतलब है कि एक सप्ताह बाद सरकार तीन साल पूरे होने के उपलक्ष्य में 18 मार्च को पूरे राज्य में जोर-शोर से अपनी उपलब्धियों का प्रचार-प्रसार करने की रूपरेखा तय कर चुकी है। ऐसे में विभिन्न समस्याओं को लेकर चल रहे आंदोलन सरकार के उत्साह पर ठंडा पानी दाल सकते हैं।
आयुर्वेदिक कॉलेजों में फीस बढ़ाने को लेकर की विभिन्न कॉलेजों के विद्यार्थी लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं और मुख्यमंत्री इस आंदोलन से निपटने में पूरी तरह असफल सिद्ध हुए हैं।
वहीं दूसरी ओर फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में नकल को लेकर बेरोजगार संगठन का आंदोलन दिन-ब-दिन तेज होता जा रहा है। इस आंदोलन के दो नेताओं को सरकार जेल भेज चुकी है।
इन आंदोलनों से डरी सरकार ने धरना स्थल को ही देहरादून के परेड ग्राउंड से शहर के एक दूसरे छोर पर शिफ्ट करने की कार्यवाही की है।
सामाजिक कार्यकर्ता कर रहे निंदा
सरकार की इस कार्यवाही पर सामाजिक कार्यकर्ता सावी वर्मा ने कहा है कि आयुष आंदोलन पर सरकार ने सब की दीपावली खराब कर दी थी और अब फॉरेस्ट गार्ड भर्ती के लिए आंदोलन करने वाले बेरोजगारों का दमन करके तानाशाही सरकार ने होली खराब कर दी है।
धरना स्थल को खुर्द बुर्द किए जाने पर सोशल एक्टिविस्ट सुजाता पॉल ने इसे नागरिकों का गला दबाने वाला कृत्य बताकर इसकी निंदा की है। साथ ही उन्होंने कल सोशल मीडिया पर एक वीडियो इसको लेकर डाला है। कल 10 तारीख को शाम 9:23 बजे से अब तक 245 कमेंट इस पर आए हैं और ढाई हजार से अधिक लोगों ने इसे लाइक किया है।1400 लोगों ने इसे शेयर किया है। समझा जा सकता है कि लोगों में कितना आक्रोश है।
लेकिन सरकार का दमनकारी रवैया वाकई स्तब्ध करने वाला है।
यदि सरकार ने समय रहते जायज मांगों के लिए लड़ रहे इन युवाओं की बात नहीं सुनी तो भाजपा को यह अनसुनी महंगी पड़ सकती है।
बहरहाल नए धरना स्थल से आंदोलनकारियों के उत्साह पर क्या असर पड़ता है यह देखने वाली बात होगी।