अनुज नेगी
कोरोना वायरस को लेकर लगाया गया 22 मार्च का जनता कर्फ्यू भले ही रात्रि 9:00 बजे तक था किंतु अति उत्साहित जनता ने इसे 5:00 बजे घंटी और खाली ताली बजाकर तोड़ दिया। बाकायदा जुलूस की शक्ल में जनता अपने जन जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सड़क पर आई तो बुद्धिजीवी लोग देखते रह गए क्योंकि इससे जनता कर्फ्यू का उद्देश्य ही खत्म हो गया। लेकिन उसे बड़ा आश्चर्य तब हुआ जब 23 मार्च को आज मीडिया में इस कदम को लेकर पूरी तरीके से चुप्पी ओढ़ ली गई। उत्साह का आलम यह था कि पीलीभीत में तो डीएम और एसपी भीड़ के आगे शंख बजाते हुए चल रहे थे।
अखबारों को इस बात का खौफ था कि अति उत्साहित जनता उनकी पाठक भी है और इस उत्साह की आलोचना करने से उनकी पाठक संख्या घट सकती है। इसलिए मीडिया ने इस पर खामोश रहना उचित समझा।
कोरोना वायरस महामारी आपदा से निपटने के लिए केन्द्र सरकार और प्रदेश सरकार अनेक प्रयास कर रही है, इस महामारी से निपटने के लिए केन्द्र सरकार ने 22 मार्च रविवार को पूरे देश मे जनता कर्फ्यू लगा दिया था। जिससे इस वायरस को फैलने से रोका जा सके, सरकार ने लोगों को भीड़ भाड़ वाले स्थानों से दूर रखने के लिए एक दिन का जनता कर्फ्यू लगाया था।
साथ ही देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना वायरस संकट के बीच लोगों से अपील की थी कि घर-घर दूध, अखबार, राशन पहुँचने वालो, पुलिसकर्मी, स्वास्थ्य कर्मी और पत्रकारों का आभार जताने के लिए 22 मार्च की शाम 5 बजे शंख, ताली, घन्टा-थाली बजाएं।
इसके बाद लोगों ने ये अफवाह उड़ाई गई गई कि एक साथ थाली बजाने से उत्पन्न होने वाले कंपन से कोरोना वायरस का संक्रमण नष्ट हो जाएगा।
इसी अफवाह को लेकर कुछ मूर्ख लोग एक साथ सैकड़ों की तादाद में एकत्रित होकर सड़कों में थाली, घन्टा बजाकर कोरोना वायरस संक्रमण को बढ़ावा देने लगे।
मगर कुछ धर्मांध लोगों ने इसके एवज में जो एक वाहियात प्रोपेगैंडा शुरु कर दिया है, उसने हम सबको दिमागी तौर पर एक्सपोज कर दिया है। मगर गोदी मीडिया इस पर कुछ दिखाने वाली नही है। कल से देश के किसी भी टीवी चैनल व किसी भी अखबार ने इस बारे में न तो कुछ दिखाया न ही कुछ लिखा, इससे गोदी मीडिया एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है।