जगदम्बा कोठारी
सप्ताह भर से लाॅक डाउन के चलते दिल्ली मे फंसे देशभर के उत्तराखंडी मूल के लगभग 200 कामगर युवाओं के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ एक मसीहा बनकर सामने आये हैं। लाॅक डाउन के कारण पिछले सात दिनों से दिल्ली के गाजीपुर स्थित रैन बसेरा मे दिन रात गुजार रहे प्रवासी उत्तराखंडियों के फंसे होने की सूचना जैसे ही सामाजिक संगठनों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को दी तो पहाड़ की मिट्टी मे पले बड़े योगी आदित्यनाथ का पहाड़ प्रेम जागृत हो गया और उन्होने तुरंत गाजियाबाद के एसएसपी कलानिधी नैथानी को तत्काल दिल्ली पहुंचकर इन फंसे लोगों को उत्तराखंड भेजने के आदेश दिये। एसएसपी नैथानी भी सीएम योगी के आदेश पर तुरंत उत्तर प्रदेश परिवहन की तीन बसें लेकर गाजीपुर रैन बसेरा पहुंची।

सभी युवाओं का मेडिकल परिक्षण करवाकर उन्हे ऋषिकेश के लिए रवाना किया। सभी फंसे युवाओं को बसों द्वारा देर रात एक बजे करीब ऋषिकेश स्थित एम्स पहुंचाया गया और इन्हे अब यहां से भी मेडिकल परिक्षण के बाद इनके गंतव्य तक पहुंचाया जायेगा। इन फंसे युवाओं मे तीन युवतियां भी हैं। इन सभी फंसे पड़े युवाओं के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गाजियाबाद की एसएसपी कलानिधी नैथानी किसी मसीहा से कम नहीं निकले। सीएम योगी के आदेश के बाद सभी लोग उत्तराखंड पहुंच पहुंच चुके हैं। बता दें कि एसएसपी नैथानी भी उत्तराखंड मूल की ही हैं।
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दिल्ली में फँसे उत्तराखंडियो को वापस भेजने में उत्तराखंड क्रांति दल दिल्ली प्रदेश के कार्यकर्ता मदद कर रहें हैं।
उत्तराखंडियों ने कहा “उत्तराखंड के लोग ही मुसीबत में उनके काम आ रहें हैं बहुत बहुत धन्यवाद रणजीत सिंह गड़ाकोटी जी।”
उत्तराखंड सरकार से नहीं मिली सहायता
पिछले हफ्तेभर से रैन बसेरा मे दिन काट रहे इन लोंगो को उत्तराखंड सरकार से कोई सहायता नहीं मिली । मुख्यमंत्री त्रीवेंद्र रावत ने इन लोगों की सहायता के लिए चार चार हेल्पलाईन नम्बर भी जारी किये मगर इसे प्रदेश का दुर्भाग्य कहा जायेगा कि सरकार से बेखौफ इन अधिकारियों का फोन नम्बर भी स्विच ऑफ जा रहे थे। महामारी के इस दौर मे उत्तराखंड सरकार द्वारा जारी किये गये इन हेल्पलाईन नम्बरों का ही बंद होना प्रदेश के मुखिया की कार्यशाली पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।

हालांकि अब ऋषिकेश पहुंचे इन युवाओं को यहां तक पहुंचाने का श्रेय त्रिवेन्द्र सरकार खुद लेकर अपनी ही पीठ स्वयं थपथपा रही है, जबकि हकीकत यह है कि प्रदेश सरकार अभी तक दून, हरिद्वार समेत ऋषिकेश मे फंसे पड़े पहाड़ियों को पूरी तरह उनके गांव भेजने मे असफल रही है। हालत यह है कि सैकड़ों लोग ऋषिकेश से पैदल ही अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं।