केंद्र सरकार की गाइडलाइन को खुद पलीता लगा रहे हैं मेयर सुनील उनियाल गामा
देहरादून। नगर निगम में सफाई कर्मियों की इस महीने की तनख्वाह काटी गई है। यहां तक कि सफाई कर्मियों ने निगम के सुपरवाइजर पर भी कमीशन लेने का आरोप लगाया है। सफाई कर्मियों ने कहा है कि एक हजार रुपये प्रतिमाह सुपरवाइजर लेते हैं।
2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनधन खाता योजना की घोषणा की थी और कहा था कि सभी योजना का पैसा, पेंशन व सरकारी तनख्वाह इसी खाते के द्वारा दी जाएगी, पर आज 6 साल बाद भी उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के नगर निगम के सफाई कर्मियों को कैश में सैलरी दी जा रही है। जिस कारण वार्ड सुपरवाइजर फायदा उठाते हुए अपना कमीशन मांगता है।
अगर औसतन हिसाब लगाया जाए तो एक वार्ड में 6 सफाई कर्मी हैं। 100 वार्ड में 1000 रुपये के हिसाब से 6 लाख रुपये प्रति महीने भ्रष्टाचार किया जा रहा है।
आजकल लॉकडाउन के कारण कोई पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं चल रहा है। जिस कारण सुपरवाइजर जानबूझकर सफाईकर्मियों को दूर वाली जगहों पर सफाई करने को भेजता है। जब पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं चल रहा है तो स्वाभाविक है कि उक्त स्थान तक पहुंचने में सफाईकर्मी को देर हो जाती होगी और कभी कभी मजबूरन छुट्टी भी करनी पड़ जाती है। ऐसे में उस दिन की तनख्वाह काट दी जाती है।
सवाल यह है कि जब भाजपा के मेयर के नेतृत्व में अपने छोटी पगार वाले कर्मियों के साथ ही ऐसा करेंगे तो इसे पीएम मोदी के आह्वान का उल्लंघन न कहें तो और क्या कह सकते हैं। यही कारण है कि देश में अमीर और अमीर होते जा रहे हैं और गरीब और गरीब।
बहरहाल, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को यह सुनिश्चित करना है कि निगम कर्मचारियों के साथ जिस प्रकार का व्यवहार हो है, वह सही है या फिर गलत। यदि प्रदेश के मुखिया इस बात को गलत ठहराते हैं तो फिर ऐसे कर्मचारियों पर कार्यवाही सुनिश्चित करवानी भी उन्हीं की जिम्मेदारी है। अब देखना यह है कि सफाई कर्मियों को न्याय कब तक मिल पाता है?