दिलीप अरोड़ा/किच्छा
कुछ दिन पूर्व राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने एक आदेश दिया था जिसमे कोरोना वारियर्स का बुके देकर और शॉल ओढाकर हो रहे स्वागत के लिए मना किया गया था और साथ ही समाजिक कार्यकर्ताओ द्वारा गरीबो को राशन बांटते वक्त फोटो खीचने की भी मनाही की गयी थी।
बाद में प्रशासन द्वारा यह भी आदेश दिए गए की कोई भी राशन या अन्य खाद्य सामग्री प्रशासन की परमिशन के बीना न बांटे।
बावजूद इसके जिले में एक एनजीओ अध्यक्ष द्वारा इन नियमो का मजाक बनाते हुए और प्रशासन के आदेशो से खुद को बड़ा बनाते हुए राशन बाटने की तस्वीरे और वीडियो लगातार सोशल मिडिया पर वायरल की जा रही है। साथ ही बहुत सी जगह सोशल डिस्टेंसिंग फेस मास्क हैण्ड ग्लब्स के नियमो का भी राशन सामग्री बांटते समय इनके द्वारा उपहास बनाया जा रहा है।
कहते है की यदि समाज सेवा की जाये तो उसका फल ईश्वर तब देते है जब आप निस्वार्थ गरीबो की सेवा करते है अर्थात आपका भाव साफ होना चाहिए।
लेकिन यहाँ ऐसा प्रतीत होता है की जैसे एनजीओ अध्यक्ष स्वयं के एनजीओ को अन्य एनजीओ से आगे रखने की होड़ में सेवा भाव का असली मतलब भूलने के साथ साथ नियमो को और अधिकारियो के आदेशो का सम्मान करना ही भूल गए।
और मनो की इन्हें किसी का भी भय नही है। जिस प्रकार कोरोना संक्रमित मरीजो की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है और इसके लिए प्रशासन भी सख्त रुख अपनाये हुए है और आदेशो का पालन भी सख्ती से करवाता नजर आ रहा है तो ऐसे में एनजीओ अध्यक्ष द्वारा आखिर प्रशासन और सीएम के आदेशो की धज्जियाँ क्यों उड़ाई जा रही है।
प्रशासन को चाहिए की इस ओर जल्द ही अपना ध्यान देते हुए इस पर सख्त कार्यवाही करें और समाज में एक सख्त सन्देश दें।तांकि कोई और अन्य एनजीओ या कोई और समाजिक सदस्य इन पोष्ट से प्रभावित होकर ऐसा कोई भी कार्य न करें, जिससे राज्य के लिए कोरोना की लड़ाई को पलीता लगें।
बहरहाल देखना होगा कि प्रशासन इस पर कब कर्यवाही और कैसी कार्यवाही करता है।