जगदम्बा कोठारी तथा कृष्णा बिष्ट
कोरोना महामारी के बीच कोरोना योद्दाओं, जिनमे स्वास्थ्य कर्मी, पुलिस, सफाई और मीडिया कर्मी आदि शामिल हैं, इनके उत्साह वर्धन के लिए देश भर मे सेना के हैलीकाॅप्टर द्वारा जगह जगह पुष्प वर्षा की गयी, जहां ये कोरोना वीर मानव अस्तित्व को बचाने के लिए जी जान से जुटे हैं। इनको प्रोत्साहित करने के लिए उत्तराखंड के अस्पतालों मे भी सेना के हैलिकाॅप्टर द्वारा पुष्प वर्षा की गयी। लेकिन कोरोना से लड़ने के लिए बना सबसे पहला अस्पताल सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी को इस आकाशीय पुष्प वर्षा से वंचित कर दिया गया।
लिस्ट में नही सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी का नाम
वहां के डॉक्टर, नर्स से लेकर वार्ड बॉय, सफाई कर्मी ,प्रशासन आदि सब बेचारे इस पुष्पक विमान का इंतजार करते रहे लेकिन मायूस हो गए।
जब वायु सेना के अधिकारियों से पुष्प वर्षा न करने का कारण पूछा गया तो उन्होंने कह दिया कि राज्य सरकार ने उन्हें इस अस्पताल की कोई जानकारी नहीं दी थी। लिहाजा उनकी सूची में सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज का नाम नहीं था।
राज्य सरकार की ओर से यह एक गंभीर चूक है कि आखिर सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज ही तो उत्तराखंड का सबसे पहले कार्य शुरू करने वाला कोरोना अस्पताल है।
सबसे पहली लैब भी यहीं पर स्थापित हुई और इसमें अब तक तीन हजार कोरोना के टेस्ट हो चुके हैं। आखिर यह भूल किस स्तर पर हुई यह अपने आप में गंभीर लापरवाही का नमूना है।
यहां बता दें कि उत्तराखंड मे अब तक कोरोना संक्रमण के 61 मामले आ चुके हैं, जिनमे आधे से अधिक मरीज ठीक होकर घर लौट चुके हैं।