शिवचन्द्र राय/ऋषिकेश
करोड़ों-अरबों का चंदा लेने वाले आश्रमों ने अपने कर्मचरियों को दो माह से वेतन नहीं दिया है। ऐसे में लॉकडाउन में वेतन न मिलने से कर्मचारियों के आगे जीवनयापन का संकट गहरा गया है। वे मजबूरन अपने नाते-रिश्तेदारों से उधार लेकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। मामले की जानकारी होने के बाद भी श्रम विभाग मामले में एक्शन नहीं ले रहा है।
तीर्थनगरी मठ और आश्रमों के लिए जाना जाता है, लेकिन इनमें काम करने वाले कर्मचारियों की कोरोना महामारी में स्थिति खराब है। उन्हें अप्रैल और मई माह का वेतन अभी तक नहीं मिला है। इससे उनके आगे जीवनयापन का संकट गहरा गया है। ऋषिकेश, मुनिकीरेती, तपोवन, लक्ष्मणझूला, रामझूला, स्वर्गाश्रम सहित अन्य जगहों पर दर्जनभर मठ, आश्रम और धर्मशाला स्थित है जिनमे हजारों की संख्या में कर्मचारी अपनी सेवाएं देते हैं। जिनकी सैलरी भी 5 हजार से लेकर 12 हजार तक होती है, लेकिन वे सैलरी भी उन्हें जरूरत के वक्त नहीं मिलता। जिससे उनके आगे परिवार के सदस्यों का भरण पोषण करने में दिकतें आ रही हैं।
लॉकडाउन के दौरान उधार देने वालों के भी हाथ खाली हैं। ऐसे में इन्हें अपने रिश्तेदारों से पैसे उधार लेकर किसी तरह गुजारा करना पड़ रहा है। आश्रम के यूनियन के नेता भी मांग उठा चुके हैं, लेकिन आश्रम प्रबंधन की तरफ से कोरा आश्वान ही मिलता है। मामले की शिकायत मिलने के बाद भी श्रम विभाग इस ओर आंखे मूंदे हैं। जब इस मामले में श्रम विभाग के इंस्पेक्टर राम छट्टू का कहना है कि इस ओर आश्रम प्रबंधन को नोटिस जारी कर जल्द ही कर्मचारियों को वेतन भुगतान को कहा जाएगा अगर एक हफ्ते में वेतन न दिया गया तो नियमानुसार करवाई की जाएगी।