गैरसैण में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा ई-विधानसभा की घोषणा किए जाने के बाद आज राज्यपाल द्वारा गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने पर मुहर लग गई है।
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने आज पत्र जारी करते हुए बताया कि राज्यपाल द्वारा गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने पर मुहर लगा दी है।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले एक जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गैरसैण को राजधानी बनाना राज्य सरकार का नीतिगत विषय है, इसलिए इसमें सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता। इससे उत्तराखंड सरकार ने काफी राहत महसूस की और इसके बाद गैरसैंण के बोझ से मुक्त होते हुए गैरसैंण को ई-विधानसभा बनाए जाने की घोषणा कर दी।
इसके साथ ही त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि 17 कार्यालयों को भी ई-कार्यालय घोषित कर दिया गया है। राज्गैय बनने से पहले से ही गैरसैण को सत्ता के केंद्र में बनाए जाने की मांग इसलिए की जा रही है ताकि यदि सत्ता का केंद्र गैरसैंण में होगा तो इस रूट पर पड़ने वाले इलाकों का विकास होगा। राज्य का विकास पहाड़ो़न्मुखी हो सकेगा और गैरसैण की तरफ आर्थिक गतिविधियां सक्रिय होने से पलायन पर भी व्यवहारिक तथा प्रभावी रोक लग सकेगी।
त्रिवेंद्र सरकार ने गैरसैंण को पहले ग्रीष्मकालीन राजधानी और फिर गैरसैंण में ई-विधानसभा की बात कहते हुए एक तरह से गैरसैंण से पूरी तरह पल्ला झाड़ दिया है।
उत्तराखंड आंदोलनकारियों को और गैरसैंण को राजधानी बनाने के पक्षधर लोगों को एक झटका तब लगा था, जब सुप्रीम कोर्ट ने इसे राज्य का नीतिगत विषय बताते हुए इस पर गेंद राज्य सरकार के पाले में डाल दी थी।
गौरतलब है कि तत्कालीन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट और वर्तमान सांसद अजय भट्ट ने विधानसभा चुनाव से पहले घोषणा की थी कि यदि भाजपा सत्ता में आई तो फिर गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाया जाएगा, लेकिन सत्ता में आने के तीन साल बाद गैरसैंण के प्रति प्रचंड बहुमत वाली भाजपा सरकार का यह व्यवहार उत्तराखंड आंदोलनकारियों के लिए भी चौंकाने वाला है।
यूकेडी के प्रवक्ता उमेश खंडूरी ने इस पर सवाल उठाया है कि “यदि गैरसैंण में ई-विधानसभा और ई-कार्यालय ही होने हैं तो फिर जनप्रतिनिधियों को भी ई-जनप्रतिनिधि होना चाहिए। सरकार को भी ई-सरकार बना दो और सभी मंत्री विधायक अपने घरों से ही सरकार संचालित करें।”
उमेश खंडूरी ने कहा ग्रीष्मकालीन राजधानी और ई विधानसभा को अलग राज्य उत्तराखंड की अवधारणा के ही खिलाफ बताया है। यदि गैरसैंण में ई-विधानसभा ही बनाई जानी थी तो फिर गैरसैंण में विधानसभा भवन से लेकर तमाम आवासीय और अन्य आधारभूत ढांचा खड़ा करने में करोड़ों रुपए क्यों बर्बाद किए गए !
जाहिर है कि भाजपा और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियां गैरसैंण में उत्तराखंड की राजधानी बनाए जाने की पक्षधर नहीं है। केवल चुनाव के समय अजय भट्ट जैसे कुछ लोग जुमलेबाजी करके लोगों का भावनात्मक शोषण करके सत्ता में आ जाते हैं और पलट जाते हैं।