गुरविन्दर चढ्ढा: बेबस मरीजों का एक सहारा छिन गया
– जगमोहन रौतेला
सूचनाधिकार कार्यकर्ता व समाज सेवी सरदार गुरविन्दर सिंह चड्ढा का आज तड़के लगभग तीन बजे ह्रदयाघात से निधन हो गया है। उनका अंतिम संस्कार आज दिन में 3 बजे राजपुरा मुक्ति धाम हल्द्वानी में होगा। हल्द्वानी में पहाड़ के दूर दराज क्षेत्रों से आने वाले आर्थिक तौर पर कमजोर मरीजों के लिए वह बहुत बड़ा सहारा होते थे, दूरस्थ क्षेत्रों से आने वाले मरीजों को जब हल्द्वानी के बेस अस्पताल या मेडिकल कॉलेज में भर्ती होने या इलाज में कोई असुविधा होती तो रात हो या दिन गुरविन्दर चढ्ढा मरीज की मदद के लिए हर वक्त तैयार रहते और अपने सम्पर्कों के माध्यम से वह इलाज, डॉक्टर, दवा व ऐम्बुलेंस की उचित व्यवस्था करवाते थे।
किसी मरीज के इलाज में कोताही होने पर वह अस्पताल व मेडिकल कॉलेज प्रशासन से झगड़ने में भी देर नहीं करते थे। गुरविन्दर भाई का एक ही मकसद होता था कि, किसी भी तरह से गम्भीर तौर पर बीमार मरीज की मदद हो जाय और वह ठीक होकर अपने घर चला। कई बार ऐसा भी हुआ कि जब उन्होंने मरीजों के अधिकारों के लिए मानवाधिकार आयोग तक भी शिकायत की और मरीजों को न्याय मिला। किसी मरीज के साथ दुरव्यवहार होने भी वे उसके साथ खड़े दिखाई देते थे, वह सोशल मीडिया के कई ग्रुपों से जुड़े हुए थे। जिसकी वजह से जरुरतमंद लोगों को उनका फोन नम्बर आसानी से उपलब्ध हो जाता था, और पहाड़ के दुरस्थ क्षेत्रों से आने वाले कई मरीजों के परिजन अपनी व्यथा फोन पर ही उन्हें बता देते थे और गुरविन्दर मरीज के हल्द्वानी पहुँचने से पहले ही उसका इंतजार करते हुए दिखाई देती।
उसके बाद वह खुद मरीज को लेकर बेस अस्पताल या फिर मेडिकल कॉलेज पहुँचते और उसे भर्ती करवाते। उनका काम यहीं खत्म नहीं होता। वे अस्पताल प्रशासन से कहकर दवाओं की व्यवस्था तक करवाते और आवश्यकता पड़ने पर खून के लिए दौड़ भाग तक करते। ब्लड बैंक में खून की उपलब्धता न होने पर वह अपने परिचितों को फोन कर के खून देने के लिए अस्पताल तक बुलवालेते, ताकि किसी भी तरह से मरीज बच सके। पिछले चम्पावत के बच्चे को हल्द्वानी में उचित इलाज न हो पाने के कारण उन्होंने नैनीताल जिला प्रशासन से कहकर ऐम्बुलेंस से ऋषिकेश ऐम्स में भेजा और जब तक उस बच्चे का वहॉ इलाज प्रारम्भ नहीं हुआ तब तक उसके परिजनों के लगातार सम्पर्क में रहे और हर घंटे उसके इलाज की जानकारी लेकर सोशल मीडिया में भी अपडेट करते रहे , ताकि उसको किसी और तरह की मदद हो तो वह भी की जा सके . इस तरह के अनेक किस्से उनके हैं जो उन्हें हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रखेंगे।
मरीजों के दुख व पीड़ा में हर सम्भव खड़े रहने वाले गुरविन्दर भाई सूचनाधिकार के कार्यकर्ता भी थे सूचनाधिकार के माध्यम से भ्रष्टाचार के कई मामले सामने लाने के कारण वे भ्रष्ट व्यवस्था की ऑख की किरकिरी भी बने रहते थे, पर उन्होंने इसकी कभी परवाह नहीं की और भ्रष्ट व्यवस्था के काले कारनामों को सामने लाने में हमेशा लगे रहे। ऐसे व्यक्ति का अचानक यूँ चले जाना बहुत ही पीड़ादायक है, खासकर उन लोगों के लिए जो अस्पतालों में उचित इलाज व दवा मिलने पर रात-बैरात गुरविन्दर भाई को एक आशा की किरण के तौर पर फोन करते थे और उन्हें कभी निराशा हाथ नहीं लगी। ऐसे लोगों का एक भरोसेमन्द सहारा हमेशा के साथ छिन गया है। पीड़ितों व आर्थिक तौर पर कमजोर लोगों के पक्ष में हमेशा खड़े रहने वाले गुरविन्दर भाई को भावपूर्ण नमन ! हमेशा लोगों के दिलों में रहोगे गुरविन्दर भाई !