अखाड़ों को भव्य रूप देने का कार्य शुरू। संतो में दिख रहा खास उत्साह
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। 2021 कुंभ मेला जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे कुंभ मेले को सुंदर और भव्य बनाने की तैयारियां होती नजर आ रही है। कोरोना महामारी की वजह से कुंभ का स्वरूप क्या होगा अभी इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता, मगर 13 अखाड़ों में कुंभ को लेकर अपनी तरफ से सभी तैयारियां की जा रही है। पंचायती निर्मल अखाड़े को सुंदर स्वरुप देने के लिए अखाड़े में रंग रोगन के कार्य और स्थाई निर्माण शुरू हो गए हैं और जैसे-जैसे कुम नजदीक आएगा उससे पहले ही तमाम कार्यों को पूरा कर लिया जाएगा। अखाड़ों में शाही स्नान को लेकर भी काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। साथ ही उनके द्वारा सभी साजो सामानों को सजाया और संवारा जा रहा है।
पंचायती निर्मल अखाड़े के कोठारी का कहना है कि, कुंभ को लेकर अखाड़ों की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो गई है। अखाड़ों में रंगाई पुताई का कार्य किया जा रहा है। स्थाई निर्माण भी अखाड़ों में शुरू हो गए हैं। धीरे-धीरे कुंभ से पहले अखाड़ों की गति कार्यों को लेकर तेज की जाएगी और कुंभ से पहले सभी कार्यों को पूरा कर लिया जाएगा। वहीं कुंभ मेले की मुख्य भव्यता शाही स्नान होती है, उसकी तैयारी के लिए सभी साजो सामान को सजाया और संवारा जा रहा है। सभी अखाड़ों के संतों में इसको लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। इनका कहना है कि, इस बार अखाड़ों की सजावट विशेष रुप से की जा रही है। पुरानी वस्तुओं को सुंदर बनाने के लिए उसमें कार्य करवाया जा रहा है और यह कार्य कुंभ को दिव्य-भव्य बनाने के लिए किया जा रहा है। जिस स्थान पर अखाड़ों की छावनीया लगेगी वहां साफ सफाई की व्यवस्था की जा रही है ताकि वहां का सुंदर नजारा हो जिससे आने वाले श्रद्धालुओं को अलग ही रौनक देखने को मिले। इनका कहना है कि कुंभ को धार्मिक स्वरूप देने के लिए पूरा संत समाज जोर-शोर से लगा हुआ है।
बता दें कि, कुंभ धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण होता है और इसी वजह से कुंभ को भव्य और सुंदर बनाने के लिए मेला प्रशासन के साथ-साथ अखाड़ों द्वारा भी तमाम तैयारियां की जाती है। जिससे कुंभ को सुंदर और भव्य बना सके। अखाड़ों द्वारा सभी तरह की तैयारियां की जा रही है। अखाड़ों को भव्य तरीके से सजाने और संवारने का कार्य शुरू हो चुका है और साथ ही शाही स्नान में संतो के साथ मुख्य आकर्षण का केंद्र रहते हैं रथ, पालकी, छड़ी उनको भी सवारने का काम किया जा रहा है।