माइक्रोमैक्स कंपनी ने 303 श्रमिकों की कार्यबहाली लटकाई। दिखाया कोर्ट के आदेश को ठेंगा
रुद्रपुर। मोबाइल निर्माता भगवती माइक्रोमैक्स के 303 श्रमिकों की छँटनी को न्यायाधिकरण द्वारा अवैध घोषित करने के बावजूद 303 श्रमिकों की कार्यबहाली नहीं हो रही है। पिछले 10 महीने से श्रम विभाग तरह-तरह से मामले को लटका रहा है। पहले तो 303 श्रमिकों कि छंटनी कर दी व यूनियन के अध्यक्ष का गैरकानूनी निलंबन कर दिया और 47श्रमिकों को बिना वजह ऑफ दे दिया और जिनसे प्रबन्धन के द्वारा किए जा रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज नहीं उठाई। 7 लोगो को किसी भी प्रकार का ले ऑफ या निलबन या कुछ भी नहीं किया। प्रबन्धन ने जो कुछ भी किया है वो सब प्रतिशोध की भावना से किया हैं।
क्योंकि 303 श्रमिकों ने यूनियन के लिए आवेदन किया तो 303 श्रमिकों की गैर कानूनी छटनी कर दी गई, और यूनियन के अध्यक्ष का निलंबन कर दिया, फिर 47 श्रमिकों ने यूनियन के लिए आवेदन किया तो 47श्रमिकों को गैर कानूनी तरीके से ले ऑफ दे दिया। जहां एक ओर माइक्रोमैक्स कम्पनी न्यू न्यू फोन को बाजार में उतार रही है वहीं 07/10/2019 से सिडकुल पंतनगर प्लांट में श्रमिकों को काम नहीं होने का बहाना बनाकर के घर पर बैठा रखा है, वह भी गैरकानूनी ले आफ दे कर। श्रमिकों से बोला जा रहा है कि, कंपनी के पास काम नहीं है जबकि तेलंगाना हैदराबाद व राजस्थान में भारी मात्रा में उत्पादन कराया जा रहा है। जबकि भगवती प्रोडक्ट्स लिमिटेड माइक्रोमैक्स के मदर प्लांट को पिछले 1 वर्ष से बंद किया गया है।
प्रबंधन के द्वारा जानबूझकर के रुद्रपुर प्लांट में काम पर नहीं लाया जा रहा है। जबकि श्रमिकों द्वारा माननीय प्रधानमंत्री महोदय भारत सरकार, केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय भारत सरकार, अध्यक्ष राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली, मुख्यमंत्री महोदय उत्तराखंड देहरादून, प्रमुख सचिव श्रम उत्तराखंड शासन देहरादून, अध्यक्ष महोदय राज्य मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड शासन देहरादून, श्रम आयुक्त महोदय उत्तराखंड हल्द्वानी नैनीताल आयुक्त कुमाऊं क्षेत्र नैनीताल, तमाम जगह श्रमिक पक्ष के द्वारा अपनी पीड़ा को पत्र के द्वारा अवगत कराया गया है।
फिर भी प्रबंधन पर कुछ भी कार्यवाही नहीं हो रही है। यहां तक कि, प्रबंधन से बाजार डाउन का कुछ भी साक्ष्य नहीं मांगा जा रहा है। क्योंकि यह कंपनी उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल की कंपनी है। जिस कारण प्रबंधन द्वारा कई बार ले आफ का गलत इस्तेमाल किया जा चुका है।