रिपोर्ट/ वाई एस पाँति
मुख्यमंत्री के नियोजन विभाग उत्तराखंड में एक अजब गजब का मामला प्रकाश में आया है।अर्थ एवं संख्या संवर्ग के एक संयुक्त निदेशक का पद वित्त विभाग के लिए व एक उपनिदेशक के पद पर्यटन व राजस्व विभाग के लिए सृजित किया गया|
इसके अलावा अर्थ एवं संख्या अधिकारी के एक एक पद कुल 7 पद शिक्षा, समाज कल्याण, ग्राम्य विकास,नगर विकास,लोक सेवा आयोग ,स्वास्थ्य विभाग व सेवायोजन के लिए सृजित किए गए।
उक्त सभी पदों को नियोजन विभाग ने समय समय पर डी पी सी की बैठक कर मुख्यमंत्री से अनुमोदन करा कर विभाग में नियुक्ति दे दी।मजे की बात यह है कि, उन सभी की तैनाती उक्त विभाग में होनी थी? पद अन्य विभाग के लिए तैनाती निदेशालय के अधीन? यह कैसे संभव हो रहा है?वित्त विभाग आखिर कैसे वेतन निकाल रहा है? विभाग में कार्यरत समय समय पर नियुक्त सचिव गण प्रमुख सचिव / अपर मुख्य सचिव व मुख्य सचिव बनकर सेवा निवृत्त व कुछ अभी भी कार्यरत है।
किसी ने भी जिम्मेदारी क्यों नहीं ली? आखिर ऐसी स्थिति कब तक चलेगा? अब देखना है कि, जीरो टॉलरेंस की सरकार कब तक इस घोर अनियमितता पर क्या कार्रवाई करती है?