रिपोर्ट / गिरीश चंदोला
थराली।
पिंडर घाटी की मुख्य मोटर सड़क सिमली-ग्वालदम के चौड़ीकरण के लिए गठित एक स्वतंत्र बहु-शाखीय विशेषज्ञ समूह के गठन एवं उसकी प्रभावित क्षेत्र के बजाय जिला मुख्यालय में आयोजित बैठक का प्रभावित क्षेत्र के लोगों ने विरोध किया है।
दरअसल सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण अल्मोड़ा-बैजनाथ-ग्वालदम-कर्णप्रयाग मोटर सड़क को राष्ट्रीय राजमार्ग 11A का दर्जा देते हुए भारत सरकार ने इस सड़क के ग्वालदम की और से किमी 87 से बगोली 140 किमी तक मोटर सड़क का चौड़ीकरण का कार्य प्रस्तावित है।
जिस के तहत इस क्षेत्र के 27 गांवों के ग्रामीणों की भूमि प्रभावित होने का अनुमान लगाया गया है। भूमि के अधिग्रहण के साथ ही अन्य समस्याओं के समाधान के लिए जिला प्रशासन ने द्वारा मुख्य विकास अधिकारी चमोली की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र बहु-शाखीय विशेषज्ञ समूह का गठन किया गया है।
जिसमें 66 सीमा सड़क संगठन के कमान अधिकारी गौचर को पदेन सचिव,ब्लाक प्रमुख थराली, नारायणबगड़ एवं कर्णप्रयाग,इस सड़क क्षेत्र से लगे जिला पंचायत सदस्यों,नगर पंचायत थराली के अधिशासी अधिकारी, राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय गोपेश्वर के दो सामाजिक वैज्ञानिकों के अलावा इंजीनियरिंग कॉलेज कोठियाल सैण गोपेश्वर के एक प्रवक्ता को बतौर सदस्य नामित किया गया है।
इस समूह की आज शुक्रवार को सीडीओ कार्यालय गोपेश्वर में भूमि से संबंधित एक बैठक समूह के अध्यक्ष, सीडीओ चमोली की ओर से बुलाई गई है।जिस बैठक का पिंडर घाटी के प्रभावित होने वाले ग्रामीणों ने कड़ा विरोध करते हुए गठित समूह के औचित्य पर ही सवाल खड़े किए है।
इस संबंध में सड़क को लेकर पूर्व में ही पिंडर घाटी क्षेत्र के प्रभावित होने वाले गांवों एवं कस्बों के गठित समन्वयक समितियों, व्यापार संघ आदि ने कहा है कि, बिना स्थानीय लोगों को विश्वास में लिए ही जिला प्रशासन ने जो समूह गठित किया है| वह अपने आप में गलत है।इस समूह में भू वैज्ञानिकों के साथ ही स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरण विदों को भी सम्मिलित किया जाना चाहिए था।
इस संबंध में समन्वयक समिति ग्वालदम के हरीश जोशी, अमित रावत,तलवाड़ी के खिलाफ सिंह,धीरेंद्र सिंह,लोल्टी के खिलाफ सिंह,कुंदन सिंह नेगी, थराली के पंचम सिंह गुसाईं, सुरेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय समन्वयक एवं थराली के पूर्व प्रमुख सुशील रावत ने कहा कि, पहले तो प्रशासनिक स्तर पर गठित समूह का गठन बिना क्षेत्रीय प्रभावित जनता को विश्वास में लिए ही किया गया। उसमें भी तमाम विषयों के विशेषज्ञों को दरकिनार रखा गया हैं।
इसके साथ ही इस समूह की बैठक प्रभावित क्षेत्र में तमाम सुगम स्थानों के मौजूद होने के बावजूद यहां से दूर जिला मुख्यालय गोपेश्वर में बैठक किया जाना सरासर गलत है।जिसका क्षेत्र के प्रभावित विरोध करते हैं।इस संबंध में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री को भी एक ज्ञापन भेज कर इस सड़क के लिए 24 मीटर चौड़ाई में भूमि अधिग्रहण से होने वाले संभावित दुष्प्रभाव की ओर ध्यान खींचने का प्रयास करने के साथ ही गठित समूह के औचित्य पर सवाल खड़े किए गए है।