समाज कल्याण विभाग में सहायक निदेशक के पद पर तैनात गबन के आरोपी अधिकारी कांति राम जोशी को हाईकोर्ट से राहत न मिलने के बावजूद अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है। यह प्रकरण तीन साल से लगातार दबाया जा रहा है।
इस अधिकारी पर सचिवालय के फोर्थ फ्लोर पर तैनात एक उच्चस्तरीय अफसर का वरद हस्त बताया जा रहा है।
यही कारण है कि यह अफसर अभी तक जीरो टोलरेंस की सरकार में एक और महत्वपूर्ण पद पर आसीन हो चुका है।
यह है पूरा मामला
जनपद देहरादून में अपर जिला समाज कल्याण अधिकारी के पद पर रहते हुए कांति राम जोशी के द्वारा अनुसूचित जाति के गरीब व्यक्तियों के रोजगार के लिए आवंटित 14 दुकानों को अपात्र व्यक्तियों को अपने स्तर से ही पद का दुरुपयोग करते भी आवंटित कर दिया गया था। यह दुकानें देहरादून के प्रेमनगर चुंगी ठाकुरद्वारा मे निर्मित हैं।
इस प्रकरण में पीड़ित व्यक्तियों द्वारा इसकी शिकायत तत्कालीन कमिश्नर गढ़वाल से की गई थी। इसकी जांच तत्कालीन कमिश्नर ने जिलाधिकारी देहरादून को सौंपी थी। जिलाधिकारी देहरादून द्वारा 27/12/2018 को शासन में अपर मुख्य सचिव को अपनी जांच रिपोर्ट भेजते यह पाया कि कांति राम जोशी द्वारा आपराधिक षड्यंत्र करके अनुसूचित जाति के कोटे की दुकानें अवैध तरीके से दूसरे अपात्र व्यक्तियों को बिना कोई प्रक्रिया अपनाए आवंटित की गई। परंतु तत्कालीन जिलाधिकारी देहरादून द्वारा दिए गए निर्देशों के बावजूद लाभार्थियों को उनके हक की दुकाने प्राप्त नहीं कराई गई और उन्हीं अपात्र व्यक्तियों को काबिज रहने दिया तथा अनधिकृत रूप से उनसे धनराशि भी जमा कराई गई।
जिलाधिकारी द्वारा कांति राम जोशी का यह कृत्य अपराधिक षड्यंत्र तथा विभाग के साथ धोखाधड़ी का माना गया।
अपर मुख्य सचिव द्वारा इस संबंध में 25 जनवरी 2019 को सुसंगत धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए गए। पुलिस द्वारा अपनी जांच में इस कृत्य को भ्रष्टाचार का कृत्य मानते हुए शासन से ‘भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम’ के अंतर्गत विवेचना की अनुमति मांगी गई। प्रमुख सचिव समाज कल्याण द्वारा 31 मई 2021 को जूही मनराल क्षेत्राधिकारी डालनवाला को विवेचना की प्रदान कर दी गई।
इतना गंभीर प्रकरण होने के बावजूद इनकी गिरफ्तारी अभी तक न होना जीरो टॉलरेंस की सरकार पर बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है।
गौरतलब है कि इस मामले में कांति राम जोशी के विरुद्ध नामजद मुकदमा थाना डालनवाला में धारा 409, 420, 468, 166, 166A(a),477A के अंतर्गत मुकदमा दर्ज है।
यह मुकदमा 29 जनवरी 2019 को दर्ज किया गया था। अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए कांति राम जोशी उच्च न्यायालय गए थे, लेकिन हाई कोर्ट ने उन्हें कोई राहत नहीं दी। इसके बावजूद अभी तक इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
गौरतलब है कि इसके पीछे सचिवालय के फोर्थ फ्लोर में तैनात एक आला अफसर का दबाव चर्चा में है।
भले ही सरकार की छवि सुधारने की कवायद में एक के बाद एक तीन मुख्यमंत्री बदल दिए गए हों लेकिन सरकार में भ्रष्टाचार ज्यों का त्यों कायम है, तथा दागी अफसरों को बचाने की मुहिम पहले की तरह ही चल रही है।
ऐसे में देखना यह होगा कि चुनाव के मुहाने पर खड़े तीसरे मुख्यमंत्री इस मामले में कोई कार्यवाही करते हैं या नहीं !