स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखंड के नैनीताल जिले में अक्टूबर माह में आई भीषण आपदा का असर दीपावली के बाजारों में भी दिख रहा है । आपदा प्रभावित गांव के 90 प्रतिशत लोग इस वर्ष बम खरीदने नहीं पहुँचे हैं जिससे बम व्यवसायी मायूस हैं ।
नैनीताल जिले में रामगढ़, बैतालघाट, खैरना आदि क्षेत्रों में 18 अक्टूबर की कयामत की रात ने कहर बरसाया था । आपदा में जनहानि के साथ कई परिवारों को मवेशी, घर, जरूरी सामान आदि का भारी नुकसान हुआ था । यहां दीवाली से कुछ दिन पहले हुई इस प्राकृतिक आपदा में नदी का रौद्र रूप देखने को मिला था । नदी इनके मकान, होटल, रैस्टोरेंट जैसे कई भवनों को ताश के पत्तों की तरह बहा ले गई थी । इसके अलावा पहाड़ से आए मलुवे ने कई आशियानों, सराय, ढाबों को दबाकर मिट्टी में मिला दिया था । यहां जिंदगियां तो रातभर जगने चलते बची। कुछ ही पल में उनके घर का सामान बहाकर कोसों दूर ले जाने से आपदा में सब तबाह हो गया था । अब ऐसे में ये लोग दीवाली जैसा बड़ा त्योहार मनाएं भी तो कैसे मनाएं ?
तक़रीबन 170 गांव के लोगों के मुख्य खैरना बाजार में पिछले वर्षों की दर्जनों दुकानों के सामने, इस वर्ष बम की इक्का दुक्का दुकानें ही लगी हैं। इन दुकानों में ग्राहकों की संख्या भी बेहद कम है । जो आ रहे हैं वो भी छोटी संख्या में बम खरीदकर शगुन कर रहे हैं । खैरना की बाजार में रानीखेत के ताड़ीखेत ब्लॉक, नैनीताल के रामगढ़ और बेतालघाट ब्लॉक के सैकड़ों गांव के हजारों लोग बम, सजावट का सामान, बर्तन और रोजमर्रा के सामान खरीदने आते हैं । दीवाली के बम की दुकान लगाने वाले संतोष सिंह का कहना है कि आपदा के बाद लोगों का बहुत नुकसान हुआ है, इसलिए बम का व्यापार 100 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत रह गया है ।