देहरादून।
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में एक 53 महिला के असाधारण हार्ट की सर्जरी के बाद उन्हें नया जीवन मिला। महिला के हार्ट में जन्म से कुछ संरचनाएं असामान्य थीं।
मेडिकल सांइस में इस बीमारी को लेफ्ट सरकमफलक्स कोरोनरी आर्टरी से कोरोनरी साइनबस व लेफ्ट सुपीरियर वैना कावा फिस्टुला कहते हैं।
बीमारी के कारण लंबे समय से सांस फूलना, दिल की धड़कन का तेज़ होना, छाती में दर्द, पूरे शरीर में सूजन व बेचेनी रहना जैसी परेशानियां थीं, कई वर्षों से महिला मरीज़ दवाओं पर निर्भर थीं।
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के सीटीवीएस (काॅर्डियक थोरेकिक वैस्क्यूलर सर्जरी) मंे विभागाध्यक्ष डाॅ अशोक कुमार जयंत ने अपनी कुशल सर्जिकल टीम के साथ महिला की सफल हार्ट सर्जरी कर उनकी परेशानी का निदान किया गया।
काबिलेगौर है कि मेडिकल साइंस में यह सर्जरी इसलिए भी दुर्लभ मानी जा रही है क्योंकि इस असामान्य हार्ट संरचना के फलस्वरूप केवल यही नहीं कि बाई सरकमफलक्स कोरोनरी आर्टरी कोरोनरी साइनस के साथ आप्रकृतिक रूप से जुड़ी हुई थी, इनके साथ बाई सुपीरियर वैना कावा जो केवल 0.3 प्रतिशत लोगों में ही पाई जाती है, वह भी इन से जुड़ी हुई थी।
ह्दय शरीर की सबसे बड़ी धमनी एओर्टा में आक्सीजन-समृद्ध खून निरंतर पंप करता है। जो शरीर के तमाम अंगों में वितरित व प्रवाहित होता है। इसके बाद शरीर के अन्य तमाम अंगों से आक्सीजन न्यून रक्त हार्ट में पनरागमन वापस आता है जिसे हार्ट फेफड़ों में आक्सीजन लेने पंप करता है और फिर पुनः एओर्टा के द्वारा शरीर में वितरित व प्रवाहित करता है।
महिला मरीज़ के इन अप्राकृतिक जोड़ों व असामान्य हार्ट संरचना की वजह से हार्ट की सबसे बड़ी धमनी (एओर्टा से आक्सीजन समृद्ध रक्त की आधी मात्रा, जिसे शरीर के अंगों में प्रवाह करना था, मरीज़ के फेफड़ों में दोबारा पहुंच रही थी, जिसके परिणामस्वरूप मरीज़ के फेफडों में दुगना और शरीर के अंगों में केवल खून की आधी मात्रा पहुंच रही थी।
यह मरीज़ के हार्ट और फेफड़ों के लिए एक घातक संकट था। इसके कारण मरीज़ के ह्दय का आकार बढ़कर दोगुना हो गया था तथा फेेफड़ों को भी नुकसान पहुंचा रहा था।
बाई सरकमफलक्स कोरोनरी आर्टरी का सामान्य औसतन आकार 2 से 5 मिलीमीटर से फूलकर 30 से 40 मिलीमीटर हो गया था।
मरीज़ के ह्दय का ट्राईकस्पिड वाल्व जो दाईं कक्षों में अंतः स्थापित होता है वो भी खराब होकर भयंकर रिसीव कर रहा था।
प्रसिद्ध हार्ट सर्जन डाॅ अशोक कुमार जयंत व उनकी टीम ने गत अगस्त 2021 को 6 घण्टे तक चले आपरेशन के द्वारा महिला को नया जीवन दिया।
आपरेशन का मुख्य उद्देश्य ह्दय के खून के असामान्य संचार को सही करना एवम् क्षतिग्रस्त वाल्व को रिपेयर करना था। आपरेशन के दौरान इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी था, कि ह्दय की मांसपेशियों की आक्सीजन समृद्ध खून की सप्लाई में कोई कमी न आए अन्यथा मरीज़ को कोरोनरी आर्टरी बाईपास सर्जरी की भी आवश्यकता पड़ सकती थी।
डाॅ अशोक कुमार जयंत ने आपरेशन के द्वारा मरीज़ के असामान्य संरचना व रक्त प्रवाह को ठीक किया और रिसाव कर रहे ट्राईकस्पिड वाल्व को रिपेयर भी किया। सटीक आपरेशन की बदौलत बाईपास सर्जरी की आवश्यकता नहीं पड़ी।
आपरेशन के बाद महिला स्वस्थ है व उन्हें अस्पताल से कुछ दिनों में छुट्टी दे दी गई है। “यह एक अत्यंत जटिल एवम् विश्वभर में दुर्लभ हार्ट सर्जरी थी जो सम्भवतः उत्तराखण्ड में पहली बार सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई।
मैने अपने 37 साल के ह्दय शल्य चिकित्सा अनुभव के दौरान पहली बार ह्दय की ऐसी असामान्य संरचना देखी और आपरेट की।
इस आपरेशन की सफलता का श्रेय सीटीवीएस की कुशल सर्जिकल टीम, अनुभवी एनेस्थीसियोलाॅजिस्ट डाॅ पराग एवम् डाॅ हरिओम, कार्डियोलाॅजिस्ट डाॅ तनुज भाटिया व मेहनती सीटीवीएस स्टाफ, नर्सेज़ एवम् श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर को जाता है। “