किच्छा और इसके पुरे विधानसभा क्षेत्र में दर्जनों ऐसी कॉलोनी कट चुकी है और कट भी रही है, जिनके अभी तक नक़्शे तक पास नहीं है।कुछ का तो मास्टर प्लान भी तैयार नहीं है। यही नहीं कुछ कॉलोनीयों मे न ही सड़को का पूर्ण निर्माण हुआ है और न ही कोई पानी की निकासी के लिए नालियों का निर्माण है।
ऐसी भी कॉलोनीय है, जहाँ अभी पार्क भी नहीं बन पाए है और कुछ कॉलोनीयों मे प्लाट बुक करने के लिए एडवांस प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
किच्छा क्षेत्र ग्रामीण और नगरीय इलाकों मे ज्यादातर कॉलोनी काटने वाले क्लोनाइजर पडोसी राज्य उत्तरप्रदेश का है और उत्तर प्रदेश मे सख्त क़ानून होने से यह लोगो ने अब उत्तराखंड का रूख कर लिया है।
किच्छा पडोसी राज्य के बॉर्डर पर है, इसलिए आजकल इन लोगो ने इस क्षेत्र मे डेरा डाल रखा है। जिनका काम सिर्फ खेती की जमीन ज्यादा पैसे देकर खरीदना, फिर इन पर कॉलोनी काट कर इनका प्रचार करना और लुभावने होर्डिंग लगाकर लोगो को आकर्षित करना धड़ल्ले से जारी है। कुछ कॉलोनीय ऐसी भी है जिनके ऊपर से बिजली की बड़ी-बड़ी लाइने गुजर रही है और इसके नीचे इनकी इमारते बनी है।
कुछ तो बिना 143 के ही धड़ल्ले से प्लाट बेच रहे है, इसलिए प्रशासन को जल्द ही इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। क्योंकि सपनो का घर हर किसी के लिए उसकी पहली प्राथमिकता होती है। लोग अपनी पाई-पाई जोड़कर जैसे-तैसे घर लेते है और ऐसे मे यदि उनकी मेहनत की कमाई को इन अवैध कॉलोनीयों ने डकारा तो शायद यह सदमा वह बर्दाश न कर पाए। इसलिए अब समय है कि, इस क्षेत्र में इन कॉलोनीयों की जाँच होनी चाहिए।
उत्तराखंड में यूपी के क्लोनाइजर की बाढ़
आजकल यूपी में योगी आदित्यनाथ की सख़्ती के चलते कृषि की भूमि को खुर्दबुर्द करने वालो ने उत्तराखंड का रूख कर लिया है। जिसका जीता जागता उदाहरण बन रहा है उधम सिंह नगर। यहाँ जिले के किच्छा में भी यूपी के लोग यहाँ की खेती की जमीन को खरीदकर प्लॉटिंग कर रहे है और इसके लिए उन्होंने कुछ स्थानीय लोगो को अच्छी कमीशन देने की लालच में अपना एजेंट बना रखा है, जिनका कार्य लोगो को कॉलोनीयों तक लाना है।
सवाल है कि, क्षेत्र में इतने बड़े स्तर पर कॉलोनियां कट रही हो और प्रशासन को इसकी जानकारी न हो क्या यह संभव है! यह समझना तो मुश्किल है ही, लेकिन सचाई यही है कि, क्षेत्र मे धड़ल्ले से कॉलोनियां कट रही है और यह ज्यादातर नियमों के विपरीत बनी है।