स्नातक स्तरीय परीक्षा दिनांक 04 व 05 दिसम्बर, 2021 के परिणाम के संबंध में सोशल मीडिया पर की जा रही टिप्पणियों के संबंध में आयोग ने अपनी सफाई जारी की हैं।
उत्तराखंड आयोग द्वारा यह परीक्षा दिनांक 04 व 05 दिसम्बर, 2021 को कराई गयी थी। किंतु जब दिनांक 07.04.2022 को परीक्षा का परिणाम जारी किया गया तो कई अभ्यर्थियों द्वारा इस परीक्षा में गड़बड़ी के निराधार आरोप लगाए जा रहे हैं।
आरोपों में मुख्य विषय यह हैं।
1.एक ही परिवार के 4 अभ्यर्थी पास हो गए है तथा ऐसे लगभग 17 अभ्यर्थी है जो 2 या 3 अभ्यर्थी एक ही परिवार से आये हैं।
- चयन सूची में दूसरी रैंक पर भूतपूर्व सैनिक अभ्यर्थी कैसे आये?
- कुछ शिफ्ट में प्रश्न त्रुटिपूर्ण ढंग से डीलिट किये गये हैं।
- कुछ अभ्यर्थियों द्वारा नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को त्रुटिपूर्ण बताया गया है।
उपरोक्त विषयों पर किसी भी मामले में कोई तथ्यपरक सूचना सोशल मीडिया पर नहीं है।
परीक्षा जैसे गंभीर विषय पर आधारहीन आरोप-प्रत्यारोप करना उचित नही है व इन टिप्पणियों से आयोग व कई चयनित अभ्यर्थियों के खिलाफ भी अनर्गल वार्तालाप किया जा रहा है जो कानूनी रूप से भी उचित नहीं है।
सभी अभ्यर्थियों की स्पष्टता की दृष्टि से आयोग की ओर से इन विषयों पर निम्नानुसार स्थिति स्पष्ट की जा रही है :
- आयोग द्वारा सोशल मीडिया में भाई-बहन के रूप में प्रचारित किये जा रहे सभी 17 अभ्यर्थियों के डेटा से उनका पता देखा गया 02 अभ्यर्थियों को छोड़कर किसी भी 02 अभ्यर्थियों के घर का पता समान नहीं है। ऐसे में यह आरोपित करना उचित नहीं है कि एक ही परिवार से कई अभ्यर्थी चयनित हुये है। एक ही परिवार से 04 अभ्यर्थियों का कोई भी मामला नहीं हैं।
- दूसरी रैंक पर भूतपूर्व सैनिक मामले में यह संभावना है कि संबंधित अभ्यर्थी द्वारा भूतपूर्व सैनिक श्रेणी का चयन आवेदन पत्र में गलती से किया है। क्योंकि आज एक समान अभ्यर्थी आयोग कार्यालय में उपस्थित हुए थे जो भूतपूर्व सैनिक नहीं थे किंतु उन्होंने इस श्रेणी का चयन आवेदन पत्र में कर लिया है। इस बात का निराकरण अभिलेख सत्यापन के समय हो जायेगा।
- प्रश्नों को डीलिट करने या उनके संशोधन करने का विषय विशेषज्ञों से संबंधित है व आयोग द्वारा अब तक कराई गयी। सभी 86 परीक्षाओं में इसी प्रक्रिया का पालन किया गया है। ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि केवल इस परीक्षा के लिए कोई नयी प्रक्रिया हुई है।
अन्य चयन संस्थाओं में भी समान प्रक्रिया अपनाकर प्रश्नों पर आपत्ति प्राप्त की जाती है तथा वहां पर भी विषय विशेषज्ञों से इसका निराकरण होता है। जहां तक डीलिट प्रश्नों का विषय है प्रत्येक डीलिट प्रश्न के लिए हर एक अभ्यर्थी का 01 अंक दिया जा रहा है। ऐसे में यह व्यवस्था सभी अभ्यर्थियों के लिए समान है। इससे किसी भी अभ्यर्थी के लिए विभेदकारी या हानिकारक निर्णय नहीं हुआ। जिस प्रश्न पत्र या शिफ्ट में प्रश्नों पर जितनी आपत्ति प्राप्त होगी उसी के अनुरूप उनका निस्तारण होगा।
- जब भी आयोग एक से अधिक पालियों में परीक्षा कराता है तो उसमें नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया अनिवार्य है इसके लिए आयोग द्वारा निर्धारित प्रक्रिया व सूत्र आयोग की वेबसाइट पर दिया गया है। वर्तमान में आयोग ऑनलाइन व आफलाइन दोनों तरह की परीक्षा करा रहा है। ऑनलाइन परीक्षाओं के लिए उपयुक्त कम्प्यूटरों की संख्या अभी राज्य में पर्याप्त नहीं है जिसके कारण इनका एक अधिक शिफ्ट में होना स्वाभाविक है। इसके साथ ही ऑफलाइन परीक्षा में आवेदकों की बढ़ती संख्या एवं परीक्षा की शुचिता के कारण इन्हें एक से अधिक शिफ्ट में कराया जा रहा है। आयोग लगातार यह प्रयास कर रहा कि एक शिफ्ट में अभ्यर्थियों की अधिकतम संख्या
में परीक्षा हो सके किंतु इस प्रक्रिया में परीक्षा की शुचिता सबसे महत्वपूर्ण हो जाती है।
ऐसे में नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया चयन प्रक्रिया का हिस्सा बन जाती है। आयोग यह प्रयास कर रहा है कि कम से कम पालियों में परीक्षा हो सके जिससे नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया का प्रभाव भी कम हो सके।
उपरोक्त विषयों पर स्थिति स्पष्ट करते हुये आयोग की ओर से अभ्यर्थियों से यह अनुरोध है कि आयोग व चयनित अभ्यर्थियों के विरूद्ध आधारहीन व तथ्यहीन व कानून के विरूद्ध टिप्पणियां सोशल मीडिया में न करें। उसके स्थान पर उनके पास यदि कोई तथ्यपरक जानकारी है जिसमें किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की बात है तो वह ईमेल या गोपनीय पत्र के माध्यम से आयोग से साझा करें जिससे ऐसे मामलों में आयोग भी कार्रवाई कर सके।