दून यूनिवर्सिटी शिक्षा के क्षेत्र में सिर्फ भारत ही नहीं वरन पूरे विश्व में शिक्षा के क्षेत्र में एक अग्रिम संस्थान बन चुका है। एवं विश्वविद्यालय विश्व पटल पर स्वयं को स्थापित कर चुका है।
दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल उत्तराखंड के संदर्भ में एक व्यक्तित्व बन चुकी हैं क्योंकि दून विश्वविद्यालय की छवि को पूरे विश्व एवं भारत में पहुंचाने में अपनी अग्रिम भूमिका निभाई । इसके अतिरिक्त प्रोफ़ेसर सुरेखा डंगवाल सामाजिक सरोकारों के लिए समर्पित व्यक्तित्व के रूप में भी जानी जाती हैं।
दून विश्वविद्यालय परिसर में 22 करोड़ की लागत से बने डा.नित्यानंद हिमालयन शोध एवं शिक्षण केंद्र का आज (गुरुवार) को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के द्वारा लोकार्पण किया गया।
केंद्र हिमालय के पर्यावरण अध्ययन और संरक्षण को समर्पित होगा। जो पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा।
यहां एमए भूगोल एवं एमएससी भूगर्भ के साथ शोध कार्यों की पढ़ाई हो रही है। गढ़वाली कुमाऊंनी जौनसारी बोली व लोक कलाओं के सर्टिफिकेट कोर्स शुरू होंगे।
दून विश्वविद्यालय की वीसी प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने बताया कि संस्थान में एमए भूगोल और एमसएससी जियोलॉजी के कोर्स भी शुरू किए जा रहे हैं। जिनके लिए जल्द स्थायी फैकल्टी भी नियुक्त की जाएगी। ताकि यहां विद्यार्थियों को हिमालय से जुड़े तथ्यों का इन विषयों में पूरा ज्ञान मिल सके। साथ ही रिसर्च में भी उन्हें मदद मिल सके।
इस संस्थान के तहत गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी में सर्टिफिकेट कोर्स भी कराए जाएंगे। उन्होने बताया कि इसी के साथ विवि में गुरुवार औ शुक्रवार को महिलाओं की तकनीकी क्षेत्र में भागीदारी बढ़ाने के मकसद से एक सेमीनार का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें महिलाओं की साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स (स्टीईएम) एजुकेशन पर फोकस के लिए मंथन होगा। इसमें देश भर से करीब 55 वैज्ञानिक, रिसर्चर और अधिकारी तथा राज्य से करीब 44 महिला वैज्ञानिक और रिसर्चर शामिल होंगी।
कुल मिलाकर प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल के कुशल नेतृत्व में दून विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में बुलंदियों को छू रहा है जिसका सपना प्रदेश की जनता लंबे समय से देख रही थी।