नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तराखंड के अधिकारियों को राजाजी नेशनल पार्क की चिल्ला रेंज में अवैध प्रतिष्ठानों को बंद करने का निर्देश दिया है। एनजीटी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन कर जंगल के बीच बनाए गए सभी व्यावसायिक गतिविधियों को रोका जाए। इन निर्देशों को लागू करने की जिम्मेदारी राज्य प्रदूषण नियंत्रण ब्यूरो (पीसीबी), डीएम और राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक की होगी।
ट्रिब्यूनल के मुख्य न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने 10 अक्तूबर को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिए। अखिल भारतीय युवा वकील संघ ने याचिका में कहा था कि जंगल में होटल, रिसॉर्ट, पब, क्लब और आश्रमों के अवैध कब्जा कर लिया है। वहां व्यावसायिक गतिविधियां
चला रहे हैं। इससे पहले ट्रिब्यूनल ने जुलाई महीने में हरिद्वार के जिलाधिकारी, राज्य पीसीबी और राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक से इस बारे में कार्रवाई रिपोर्ट मांगी थी। रिपोर्ट में चिंता जताई गई थी कि लगभग 19 प्रतिष्ठान ठोस और अन्य कचरे के निपटान के संबंध में पर्यावरण मानदंडों का उल्लंघन कर रहे हैं। और 17 बिना अपेक्षित एनओसी के काम कर रहे है। सिर्फ दो के पास एनओसी मौजूद था।
एनजीटी ने रिपोर्ट का संज्ञान लेने के बाद कहा, राज्य प्रदूषण नियंत्रण ब्यूरो तीन महीने के भीतर कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए पर्यावरण मानदंडों के उल्लंघन के लिए 19 प्रतिष्ठानों से मुआवजे की वसूली करे|
वसूल की गई राशि का उपयोग पहले से गठित समिति की देखरेख में अधिमानतः छह महीने के भीतर बहाली के उपायों के लिए किया जा सकता है।