जल्दी ही आप को देहरादून के परेड ग्राउंड के सामने उत्तराखंड सरकार का लोगो लगा हुआ एक मोबाइल रेस्त्रां मछली तलते हुए नजर आए तो आश्चर्य न कीजिएगा।
यह सरकार की मछली उत्पादन और मछली सेवन के कार्यक्रम को बढ़ावा देने की नीति के अंतर्गत शुरू की गई योजना है। इस तरह के एक एक हरिद्वार और उधमसिंह नगर में भी मुख्य चौक-चौराहों पर शुरू किए जाएंगे।
आप यहां से मनचाही मछली तलवा सकते हैं और जरूरत पड़ने पर अपने घर पर भी ऑर्डर करवा सकते हैं। हालांकि इसके लिए आप को कम से कम ₹2000 का ऑर्डर करना पड़ेगा। यही नहीं यदि आपके घर में कोई शादी समारोह है तो आप फोन करके इस मोबाइल रेस्तरां को शादी समारोह के टेंट के बाहर भी खड़ा करवा सकते हैं, जहां पर आपके मेहमान दो दो पैग के साथ मछली का सेवन कर सकते हैं।
उत्तराखंड सरकार ने विश्व मात्स्यिकी दिवस पर देहरादून के किसान भवन से मत्स्य पालकों के लिए बेहतरीन योजनाओं की शुरुआत की। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर तीन मत्स्य पालकों को मोबाइल रेस्तरां भेंट किए गए तथा तीन अन्य मत्स्य पालकों को ताजी मछलियां तालाब से थोक बाजार तक पहुंचाने के लिए बाइक के प्रदान की गई।
इसके साथ ही एक आइसोलेटेड फिश कंटेनर हरिद्वार की मत्स्य पालन सहकारी विकास समिति को प्रदान किया गया। फिश रेस्तरां की लागत 10लाख रुपए है तथा यह हरिद्वार, उधम सिंह नगर तथा देहरादून के एक- एक लाभार्थी को प्रदान किया गया। देहरादून, हरिद्वार और उधमसिंह नगर की एक-एक लाभार्थी को बाइकें भी प्रदान की गई।
इस एक बाइक की लागत ₹साठ हजार है। तथा इस बाइक के लिए 60% कीमत लाभार्थी द्वारा दी गई और 40% सरकार द्वारा वहन किया गया। मोबाइल रेस्तरां में भी 10लाख रुपए में से 70% लाभार्थी ने प्रदान किया गया। और 30% सरकार द्वारा प्रोत्साहन स्वरुप प्रदान किया गया।
53 लाख रुपए का 1 फिश कंटेनर हरिद्वार की सहकारी समिति को दिया गया। यह भी 70-30 के अनुपात में प्रदान किया गया।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने किसानों का आव्हान करते हुए कहा कि सरकार का फोकस मत्स्य पालकों को दोगुना उत्पादन कराने पर है।
मत्स्य सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम कहते हैं कि योजना फिलहाल एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर है। अगले साल और अधिक मत्स्य पालकों को यह लाभ दिलाने के लिए भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा।
विकास नगर के अशरफ को भी तालाब से बाजार तक ले जाने के लिए 30% अनुदान पर बाइक मिली है। अशरफ का डेढ़ बीघा में मछली का तालाब है और वह इस योजना से बहुत खुश है।
मत्स्य निदेशक जीबी औली कहते हैं कि इस तरह के प्रोत्साहन वाले कार्यक्रमों से उत्तराखंड में मत्स्य पालकों को प्रोत्साहन मिलेगा और मछली पालने और मछली उत्पादन करने के साथ ही भोजन में मछली का सेवन करने के लिए एक माहौल तैयार होगा।
मत्स्य विकास मंत्री रेखा आर्य कहती हैं कि इससे मत्स्य पालकों की आजीविका में तो सुधार होगा ही साथ ही राज्य वासियों को भोजन में शुद्ध प्रोटीन प्राप्त हो सकेगा। इस अवसर पर राज्य भर से विभिन्न मत्स्यपालक उपस्थित थे और सभी इन योजनाओं के बारे में उत्साहित दिखे। देखना यह है कि नील क्रांति का यह आगाज उत्तराखंड के विकास में कितनी भूमिका निभाता है!