केदारनाथ पुनर्निर्माण को लेकर सुर्खियों में आए कर्नल कोठियाल की बढ़ती छवि और उनकी राजनीति में आने की सुगबुगाहट के बाद से अपनी राजनीतिक जमीन खिसकने का खतरा देख रहे नेताओं के उन पर हमले तेज हो गए हैं।
जिन मामलों को लेकर के कर्नल कोठियाल का कोई लेना-देना भी नहीं, उन्हे भी कर्नल कोठियाल और उनकी टीम से जोड़ कर उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।इससे कर्नल कोठियाल की टीम हैरान जरूर है, किंतु उनकी ओर से अभी कोई भी प्रतिउत्तर नहीं आया है।
केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने केदारनाथ में अतिलघुजलविद्युत परियोजना मे अनियमितता का आरोप लगाते हुए निम(नेहरू पर्वतारोह संस्थान) के प्रधानाचार्य कर्नल कोठियाल के खिलाफ एक शिकायत 2 पृष्ठों में मुख्य सचिव को सौंपी है।
मुख्य सचिव के निर्देश पर अपर सचिव ऊर्जा रणवीर सिंह ने जांच भी बिठा दी है। बड़ा सवाल यह है कि किसी परियोजना में गड़बड़ी की आशंका होना और उसकी जांच कराया जाना एक बिल्कुल अलग बात है किंतु विधायक द्वारा एक वाल्व की खराबी की शिकायत सीधे मुख्य सचिव से करना और शिकायत की प्रतियों को सोशल मीडिया पर जारी करना और साथ ही जांच के आदेश की कॉपी भी सोशल डालने से साफ लगता है कि यह शिकायत परियोजना की गड़बड़ी दूर करने के लिए नहीं बल्कि राजनीतिक जमीन पुख्ता करने के लिए की गई है।
सोशल मीडिया पर कर्नल कोठियाल अपने कार्यों को लेकर के भले ही सर्वत्र प्रशंसा के पात्र बन कर घूम रहे हैं किंतु राजनेता इस बात को लेकर के अतिरिक्त सतर्कता बरत रहे हैं कि केदारनाथ में हुए कार्यों का श्रेय कहीं कर्नल कोठियाल को न मिल जाए। वर्ष 2013 के जून माह में जो राजनीतिक लोग यह बात कह रहे थे कि 10 साल से पहले और यात्रा दोबारा शुरू नहीं हो पाएगी, वही लोग केदारनाथ के 1 साल में ही यात्रा के लिए तैयार हो जाने के बाद से अपनी पहचान का संकट भांप कर कर्नल कोठियाल पर हमलावर हो गए हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के विशेष आग्रह पर केदारनाथ पुनर्निर्माण का काम हाथ में लेने वाले कर्नल कोठियाल और उनकी टीम के आगे 1 साल तक पक्ष और विपक्ष हाथ बांधे खड़े रहे।यह वह दौर था जब केदारनाथ में काम करने के लिए कोई भी सरकारी एजेंसी और विशेषज्ञों की पूरी की पूरी फौज तैयार नहीं थी।
ऐसे में कोई तकनीकी विशेषज्ञता ना होने के बावजूद सिर्फ मानवता के नाते और अपने जुझारूपन के कारण कर्नल कोठियाल ने यह काम अपने हाथ में लिया। तब से लेकर अब तक लगातार 3 वर्ष तक यात्रा सुचारू रूप से चल रही है।
केदारनाथ में कांग्रेस और भाजपा के सभी दिग्गज नेता कई बार आकर जा चुके हैं, जो इस बात पर मुहर लगाता है कि केदारनाथ अब पूरी तरह से तैयार हो चुका है । कांग्रेस के अंबिका सोनी और राहुल गांधी सरीखे नेता यहां के दर्शन प्राप्त कर जा चुके हैं तो 6 माह में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दो बार यहां आ चुके हैं। हरीश रावत और राज्यपाल तो दर्जनों बार केदारनाथ आए हैं।
किंतु किसी भी राजनेता ने केदारनाथ के पुनर्निर्माण को लेकर कर्नल अजय कोठियाल और उनकी टीम को इसका श्रेय देना तो दूर उनका नाम तक अपनी जुबान से लेना उचित नहीं समझा।
सभी को यह लगता है कि यदि कर्नल कोठियाल को इसका श्रेय दिया गया तो उनकी अपनी राजनीतिक जमीन खिसक सकती है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा और नरेंद्र मोदी की प्रचंड लहर के बावजूद यदि केदारनाथ से कांग्रेस के बिल्कुल नौजवान और राजनीतिक रुप से पूरी तरह अपरिपक्व मनोज रावत चुनाव जीत सके तो यह उनके केदारनाथ में किए गए कार्यों का ही परिणाम है।उत्तराखंड में जब कांग्रेस की सरकार थी तो भाजपा के केदारनाथ सीट से टिकट पाने के प्रबल दावेदारों में से एक अजेंद्र अजय ने कर्नल कोठियाल के खिलाफ मोर्चा खोल कर रखा। वह वह उनके खिलाफ आरोपों को लेकर भाजपा हाईकमान तक भी गए ।
उस दौरान केदारनाथ में अपनी राजनीतिक जमीन तैयार कर रहे मनोज रावत कर्नल कोठियाल के बड़े प्रशंसकों में से गिने जाते थे ।यहां तक कि मनोज रावत के “हिटो केदार नाम से पदयात्रा को कर्नल कोठियाल के यूथ फाउंडेशन के युवकों ने की सफल बनाया था। हिटो केदार में कर्नल कोठियाल द्वारा आयोजित यूथ फाउंडेशन के डेढ़ सौ युवा इस यात्रा में गए थे और मनोज रावत की यात्रा को सफल बनाया था।
उस दौरान मनोज रावत केदारनाथ में हो रहे कार्यों के लिए कर्नल कोठियाल की प्रशंसा करते नहीं थकते थे किंतु चुनाव से ऐन पहले जब यह सुगबुगाहट होने लगी कि कर्नल कोठियाल केदारनाथ से विधायक का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ सकते हैं तो उसी दौरान मनोज रावत कर्नल कोठियाल के खिलाफ हो गए। यह फासला समय के साथ-साथ बढ़ता चला गया।
कर्नल कोठियाल पर अनियमितता को लेकर जो आरोप मनोज रावत लगा रहे हैं उनकी हकीकत वह खुद भी बेहतर समझते हैं। मनोज रावत पत्रकार रह चुके हैं। पिछले दिनों केदारनाथ के विधायक मनोज रावत ने मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा जिसमें उरेडा की एक परियोजना में अनियमितता के लिए कर्नल कोठियाल पर आरोप लगाते हुए इसकी जांच की मांग की गई थी मुख्य सचिव ने विधायक के पत्र पर जांच के आदेश भी दे दिए हैं यह हकीकत सभी जानते हैं कि जब केदारनाथ में उरेडा इस कार्य को संपन्न कराने के लिए कोई भी कार्यदायी संस्था तैयार नहीं थी, ऐसे में उरेडा ने केदारनाथ में पहले से ही काम कर रहे निम के प्रधानाचार्य कर्नल कोठियाल से इस कार्य को करने का अनुरोध किया था। जब कर्नल कोठियाल ने यह कहते हुए मना कर दिया कि उन्हें उरेडा के अंतर्गत बनाए जा रहे इस पावर हाउस के निर्माण की कोई भी तकनीकी जानकारी नहीं है तो ऐसे में उरेडा के अधिकारियों और शासन के अधिकारियों ने कर्नल कोठियाल को भरोसा दिया था कि उन्हें सिर्फ लेबर कार्य ही करना है शेष तकनीकी सपोर्ट उरेडा करेगी और हर वक्त उरेडा के इंजीनियर की देखरेख में यह कार्य होगा। जब निम की टीम ने यह कार्य मात्र डेढ़ करोड रुपए में कर दिखाया तो शासन के अधिकारी भी हैरत में रह गए। काम पूरा करने के पूरे एक साल बाद निम को इसकी पेमेंट की गई थी। जबकि विधायक मनोज रावत ने अपने पत्र में आरोप लगाया है कि कर्नल कोठियाल को इस पावर हाउस के लिए अग्रिम भुगतान किया गया था।
पाठकों को याद होगा कि केदारनाथ के रास्ते के निर्माण का कार्य पहले pwd को दिया गया था पीडब्ल्यूडी ने इस रास्ते के निर्माण के लिए 3 साल का समय मांगा था और न्यूनतम बजट 18 करोड रुपए की आवश्यकता जताई थी। किंतु जब कर्नल कोठियाल को यह काम सौंपा गया तो उन्होंने 3 महीने से भी कम समय में मात्र 6 करोड रुपए की लागत से यह रास्ता तैयार कर कर दिखाया। मजेदार बात यह है कि इस रास्ते के निर्माण में मजदूरों को 14 सौ रुपए तक दिहाड़ी दी गई थी। जबकि पीडब्ल्यूडी ने 18 करोड़ की लागत में भी मजदूरों की दिहाड़ी इस्टीमेट मे मात्र ₹300 दिखाई थी।
जाहिर है कि जब उत्तराखंड के सारे लोग और देश विदेश के लोग भी केदारनाथ पुनर्निर्माण के कार्यों को लेकर सुखद आश्चर्य में है तो ऐसे में हमारे राजनेता सिर्फ अपने स्वार्थों के लिए कर्नल कोठियाल पर आरोप लगाकर अपने लिए ही आक्रोश का माहौल तैयार करा रहे हैं।
मीडिया में मनोज रावत के चंद समर्थकों को छोड़कर सभी जन सामान्य लोग मनोज रावत के आरोपों के लिए उनकी निंदा कर रहे हैं। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि केदारनाथ में कमीशनखोरी के लिए फेब्रिकेशन हट बनाने का कार्य 200 करोड़ रुपए में राजकीय निर्माण निगम लिमिटेड को दिया गया और उसमें 55% तक कमीशन खाने के बाद भी निगम ने कार्य अभी तक पूरा नहीं किया है। वही पार्किंग का एक निर्माण का कार्य भी उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण को दिया गया है इसका बजट भी 60 करोड रुपए है। जबकि एक आम आदमी भी बता सकता है कि जमकर कमीशन खाए जाने की संभावना के बाद भी इस पर 10 करोड रुपए से अधिक का खर्च आ ही नहीं सकता। इन निर्माण कार्यों की शिकायत विधायक मनोज रावत ने मुख्य सचिव से नहीं की। जाहिर है कि इन निर्माण कार्यों में चाहे कितनी भी धांधली हो, यह घोटाले मनोज रावत की राजनीतिक जमीन के लिए कोई खतरा नहीं है।बहरहाल विधायक मनोज रावत की चिट्ठी को लेकर विधायक के समर्थकों और कर्नल कोठियाल के प्रशंसकों में मीडिया में आरोप-प्रत्यारोपों का दौर शुरू हो गया है। देखना यह है कि कर्नल की टीम से कोई जबाब देने के लिए कोई आगे आता है या नही।