कुछ दिनों से जौनसार बाबर के क्षेत्र में अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालयों में प्रवेश न दिए जाने को लेकर मामला सड़कों पर आ गया था।
अनुसूचित जाति के छात्रों को राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय में प्रवेश ने दिए जाने को लेकर राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने भी जिला समाज कल्याण अधिकारी पूनम चमोली को मांग पत्र दिया था ।
पर्वतजन ने भी इस खबर को प्रमुखता से अपने पोर्टल के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाया था।
अब शासन ने जनजाति कल्याण विभाग के राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालयों में जनजाति के विद्यार्थी उपलब्ध न होने की दशा में अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को प्रवेश दिये जाने के सम्बन्ध में शासनादेश जारी करते हुए आदेश दिया है कि, जनजाति कल्याण विभाग के जिन राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालयों में जनजाति के विद्यार्थियों का स्वकृत क्षमता से कम पंजीकरण हुआ हो, उनमें जनजाति के विद्यार्थियों के प्रवेश हेतु विज्ञापन प्रकाशित कर और अभियान चलाकर पंजीकरण की कार्यवाही सुनिश्चित करते हुए पंजीकरण किये जाने तथा यदि उपरोक्त प्रयासों के बाद भी जनजाति के विद्यार्थी उपलब्ध नहीं हो पाते हैं तो ऐसी दशा में ही विद्यालयों में स्वीकृत क्षमता की सीमा तक अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को प्रवेश दिए जाने की कार्यवाही किये जाने के निर्देश दिये गये हैं।
शासन का यह आदेश कहीं ना कहीं अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं के साथ अधूरा न्याय है! क्योंकि यदि जनजाति के बच्चे नहीं मिलेंगे तो खाली सीटों पर ही अनुसूचित जाति के बच्चे लिए जाएंगे। जब जौनसार बाबर के लोगों को क्षेत्र के आधार पर जनजाति का दर्जा मिला है तो सभी को आश्रम पद्धति विद्यालय में प्रवेश लेने का एक समान अधिकार होना चाहिए!