इंद्रजीत असवाल
जिस स्रोत से इस गांव में पेयजल आपूर्ति होती थी, उसका कभी जीर्णोधार नही हुआ न ही इस जलापूर्ति योजना में कभी कोई फीटर दिखा जिस कारण ये योजना जलापूर्ति करने में विफल होती जा रही है यदि जल संस्थान कोटद्वार ने इस योजना की सुध नहीं ली तो बचे पानी से भी हाथ धोना पड़ेगा ।
2024 गर्मी आते ही पहाड़ से लेकर मैदान तक हलक सूखने लगे, रोज सोशल मीडिया में पानी के लिए तरसते ग्रामीणों की आवाज बुलंद होती जा रही है।
केंद्र सरकार की “जल जीवन मिशन हर घर नल हर घर जल” स्कीम के तहत नल तो हर घर तक लग चुके है लेकिन उनमें पानी नही है वे केवल सो पीस बने हैं ।
खबर लैंसडाउन तहसील के ग्राम सभा कोटाखाल के सौली गांव की है ,जहां पर आजकल ग्रामीण पानी की बूंद बूंद के लिए तड़फ रहे हैं जिस स्रोत से इस गांव में पेयजल आपूर्ति होती थी उस स्रोत के रखरखाव न होने के कारण उसमे बहुत कम याने न के बराबर आ रहा है और जो गांव का पैत्रिक स्रोत है उसमे भी पूरे दिन में 15 से 20 लीटर तक मिल पा रहा है।
जल संस्थान कोटद्वार के अधिकारियों का कहना है कि स्रोत में शायद पानी है लेकिन लाइन में कहीं फॉल्ट हो सकता है तत्काल चैक करवा रहे हैं यदि टैंकर की जरूरत पड़ेगी तो उपजिलाधिकारी लैंसडाउन से परमिशन लेनी पड़ेगी।