रिपोर्ट : इंद्रजीत असवाल
आये दिन सोशल मीडिया में वन विभाग के कुछ रिस्वतखोर अधिकारियों की मिलीभगत से जंगलों के कटने की खबरे वायरल होती रहती हैं और बड़े अधिकरी जाँच की बात कहकर मामले को ठन्डे बस्ते में डाल देते हैं या फिर जनता को दिखाने के लिए किसी छोटे कर्मचारी को सस्पेंड कर दिया जाता हैं और जो बड़े भ्रस्ट अधिकारी होते हैं वो साफ बचकर निकल जाते हैं ।
मामला तहसील विकासनगर क्षेत्र के झांजरा रेज से मात्र 8 किलोमीटर दूर मांडूवाला का हैं, जँहा पर विगत तीन दिन पहले वन विभाग के आला अधिकारियों ने एक बड़े भूखंड पर जाँच की गई, जिसमे खुदाई के दौरान 16 पेड़ों के अवशेष मिले बाकी की खुदाई बंद कर दी गई ।
अब बात यदि इस भूखंड की कि जाए तो यहाँ पर आने जाने लिए एकमात्र रास्ता वन विभाग की भूमि हैं जिसके लिए शातिर प्लोटिंग कर्ता ने किसानों की आपबीती का हवाला बताकर वन मंत्री सुबोध उनियाल को भाजपा के स्थानीय नेता के सहयोग से भूखंड तक आने जाने के लिए कच्चा रास्ता दिखाकर कई बार मरमत में सरकारी धन का प्रयोग करवाया गया,साथ ही 330मीटर पक्की सड़क भी सांसद निधि से तैयार करवा दी गई ।
वहीँ यहां पर पहले सैकड़ों सीसम व सागोन के पेड़ हुआ करते थे लेकिन यहाँ पर भू माफिया द्वारा वन विभाग रेंज कार्यालय झांजरा के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों कि मिलीभगत से यहां का हरा भरा जंगल साफ कर दिया गया और उनके कुछ अवशेषों को जला दिया गया और कुछ को दबा दिया गया ।
ज़ब सोशल मीडिया पर यह खबर चली तो आनन फानन वन विभाग पुरे लाव लस्कर के साथ मौके पर पहुँचता हैं और खुदाई में 16 ही पेड़ों को दिखाकर जाँच कि इति श्री कर दी जाति हैं ।
सूत्रों से जानकारी यह भी मिली हैं कि जाँच ने आगे भी चलना था परन्तु वन विभाग के कुछ बड़े भ्रष्ट अधिकारियो व सफ़ेद पोस नेताओं को भू माफिया द्वारा शायद चंद चांदी के खानकते सिक्कों में तोल दिया गया जिसके कारण न तो जाँच आगे बढ़ी न ही जिम्मेदार भ्रष्ट रेंज अधिकारी पर गाज गिरी, इससे लगता हैं ऊपर से नीचे तक सबको माफिया ने खुश कर रखा हैं ।
आपको बता डेदे कि विगत कुछ माह पहले राजा रोड स्थित एक भू खंड में भी सैकड़ों पेड़ कटे थे, जिसमे वन दरोगा को मोहरा बना दिया गया था व जिम्मेदार बड़ी अधिकारी को बच्चा लिया गया था।
जानकारी मिली हैं कि सबसे ज्यादा पेड़ इन्ही अधिकारी के आशीर्वाद से कटे और इसकी एवज में भूमाफियाओं ने अधिकारी का स्वागत बड़े जोर शोर से किया गया होगा ।
अब प्रश्न बनता हैं कि इस भूखंड से मात्र 200 मीटर दूर वन चेक पोस्ट व 8 किलोमीटर दूर झांजरा रेंज कार्यालय हैं फिर कैसे इन अधिकारियों को पता नहीं चला?? क्या इन अधिकारियों ने भाँग पी थी या फिर ये माफिया के दिए हुए लड्डू गिन रहे थे?