राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी भर्ती-2024 में बड़े पैमाने पर धांधली का गंभीर आरोप लगाया है। पार्टी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र भेजकर CBI या SIT जांच की मांग की है, साथ ही दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की गुहार लगाई है।
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में नियमों को नजरअंदाज कर निदेशालय होम्योपैथी और चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड के अध्यक्ष के निकट संबंधियों और चहेतों को लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई। उन्होंने इस भर्ती को “पूर्व नियोजित साजिश” बताया।

मुख्य आरोप और गड़बड़ियां
1. आरक्षित वर्गों की संख्या से अधिक चयन
SC वर्ग की 6 पोस्ट निर्धारित थीं, जबकि चयन 8 अभ्यर्थियों का किया गया।
OBC के लिए कोई पद नहीं था, फिर भी OBC अभ्यर्थियों को जनरल वर्ग में समायोजित कर दिया गया।
2. लिखित परीक्षा जानबूझकर नहीं कराई गई
आयोग ने तर्क दिया कि 1500 से कम अभ्यर्थी होने पर लिखित परीक्षा नहीं होगी।
सेमवाल के अनुसार, “उत्तराखंड में आज तक 1500 होम्योपैथिक चिकित्सक रजिस्टर्ड ही नहीं हैं, ऐसे में इंटरव्यू आधारित भर्ती का उद्देश्य सिर्फ अपने लोगों को फायदा देना था।”
3. अंतिम तिथि के बाद भी फॉर्म स्वीकार किए गए
रोल नंबर 540, 569 और 571 वाले उम्मीदवारों के फॉर्म अंतिम तारीख के बाद जमा हुए।
बावजूद इसके इन्हें 1st, 11th और 24th रैंक दे दी गई।
4. अनुभवी सरकारी चिकित्सकों की अनदेखी
सरकारी और अर्द्धसरकारी संस्थानों में वर्षों से संविदा पर कार्यरत अनुभवी चिकित्सकों को नजरअंदाज किया गया।
इसके उलट, प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले या बिना अनुभव वाले कई उम्मीदवारों को इंटरव्यू में 60 में से 58–59 अंक देकर चयनित किया गया।
5. चयनित अभ्यर्थियों का संबंध जिम्मेदार अधिकारियों से
अधिकांश चयनित उम्मीदवारों का सीधा संबंध होम्योपैथिक निदेशालय या चयन बोर्ड के अध्यक्ष से होने का आरोप है।
सेमवाल ने एक “बड़े विभागीय दलाल” की भूमिका को भी संदिग्ध बताया।
CBI या SIT जांच की मांग
सेमवाल ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने तत्काल निष्पक्ष जांच शुरू नहीं की, तो पार्टी राज्यव्यापी आंदोलन करेगी। उन्होंने कहा कि यह मामला पारदर्शिता, भर्ती व्यवस्था और युवाओं के भविष्य से जुड़ा है, जिसे किसी कीमत पर दबाया नहीं जा सकता।

पार्टी की प्रमुख मांगें
- भर्ती को तत्काल रद्द किया जाए
- पूरी प्रक्रिया की CBI या SIT से जांच
- दोषी अधिकारियों और “दलालों” पर कड़ी कानूनी कार्रवाई


